दुःखनाशक अचूक औषधि भगवन्नाम

दुःखनाशक अचूक औषधि भगवन्नाम


पूज्य बापू जी

किसी दुःख मुसीबत में फँसे हैं और भगवान का नाम लेते हैं तो जैसे डकैतों में फँसा व्यक्ति मदद के लिए चिल्लाता है, ऐसे ही भगवन्नाम एक पुकार है। और व्यक्ति को पुकारो, वह सुने – न सुने, समर्थ हो या कायर हो लेकिन भगवान सुनते हैं और समर्थ हैं। कायरता का तो ‘क’ भी सोचना पाप है। कोई भी तकलीफ या मुसीबत हो तो भगवान का नाम लेते-लेते हृदयपूर्वक प्रार्थना करने वाले को बहुत मदद  मिलती है। ‘पुत्र चला गया भगवान के पास, अब बेटी है और चिंतित है, दुःखी है…’ उस दुःख में आपको दुःखी होने की जरूरत नहीं है। दुःखहारी… जो दुःख का हरण कर ले वह ‘हरि’।

हरति पातकानि दुःखानि शोकानि इति श्रीहरिः।

‘हे हरि…. तुम्हारा नाम ही दुःख को, पातक को, शोक को हरने वाला और ॐकार ओज को, शांति को, सामर्थ्य को भरने वाला है। हरि ॐ…. हरि ॐ…. हरि ॐ….।’ दुःख को याद करके आप दुःख को बढ़ाइये मत, दुःखहारी का नाम उच्चारण करके अपना और बेटी का दुःख हरिये।

जैसे कोई कुत्ता, बिल्ला या कोई पक्षी आपका भोजन जूठा करने को आ रहा है तो आप क्या करते है ? उनको भगाने के लिए ताली बजाते हैं। ऐसे ही चिंता, काम, क्रोध, रोग, भय, शोक ये भी आपके आत्मखजाने की थाली को जूठा करने को आयें तो आप तुरंत ताली ठोक दो, ‘हरि ॐ…. ॐ… बिन फिर हम तेरे… हा… हा….’ हाथ ऊपर करके भगवान की शरण स्वीकार लो।’ अब हम भगवान तेरे हैं, हम चिंता, भय, क्रोध के हवाले होकर ठगे नहीं जायेंगे क्योंकि भगवान  का नाम तो प्रार्थना, पुकार और भगवदीय शक्ति से सम्पन्न है।’

तो जैसे डकैतों से घिरा हुआ आदमी जंगल में पुकारता है तो कोई आये तब आये लेकिन परमात्मा तो मौजूद है। उसके नाम का बार-बार पुनरावर्तन करने से आंतरिक शक्तियाँ जगेंगी। चाहे ‘नारायण-नारायण’ पुकारो, चाहे ‘राम-राम’ पुकारो या ‘हरि ॐ’ पुकारो, मौज तुम्हारी है लेकिन पुकारना यह शर्त जरूरी है।

बोले, ‘महाराज ! हमारे मन में खुशी नहीं है, प्यार नहीं है।’ प्यार नहीं है तो कैसे भी पुकारो। खुशी और प्यार सब आ जायेगा। ‘मुझे कोई खुशी दे देगा, मेरा कोई दुःख हर लेगा’ – इस वादे के सौदे में मत पड़िये। शेयर बाजार में होता है वादे का सौदा लेकिन हरि का नाम वादे का धर्म नहीं, उधारा धर्म नहीं, नकद धर्म है। जैसे डायनमो (जनरेटर) या किसी इंजन को दो चार चक्कर चलाते हैं न, तो पाँचवें-छठे चक्कर में इंजन गति पकड़ लेता है, ऐसे ही छः बार जप करने के बाद जापक का मन और मूलाधार केन्द्र भगवदीय चेतना को भी पकड़ लेता है। जैसे डायनमो घूमने से ऊर्जा बनती है, ऐसे ही सात बार भगवन्नाम लेने के बाद आप रक्त का परीक्षण कराइये, आपके अंदर वह ऊर्जा बन जाती है हो हताशा, निराशा, चिंताओं को हर लेती है, यहाँ तक कि हानिकारक कीटाणुओं को भी मार भगाती है।

मेटत कठिन कुअंक भाल के। भाग्य के कुअंकों को मिटाने की शक्ति है मंत्रजप में। जो संसार से गिराया, हटाया और धिक्कारा गया आदमी है, जिसका कोई सहारा नहीं है वह भी यदि भगवन्नाम का सहारा ले तो  3 महीने के अंदर अदभुत चमत्कार होगा। जो दुत्कारने वाले और ठुकराने वाले थे, आपके सामने देखने की भी जिनकी इच्छा नहीं थी, वे आपसे स्नेह करेंगे। ध्यानयोग शिविर में ऐसे कई अनुभव लोग सुनाते हैं। अगर भगवन्नाम गुरु के द्वारा गुरुमंत्र के रूप में मिलता है और अर्थसहित जपते हैं तो वह सारे अनर्थों की निवृत्ति और परम पद की प्राप्ति कराने में समर्थ होता है। अतः अपने मंत्र का अर्थ समझकर प्रीतिपूर्वक जप करें।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, फरवरी 2014, पृष्ठ संख्या 21,22 अंक 254

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