पाचन की तकलीफों में परम हितकारी

पाचन की तकलीफों में परम हितकारी


अदरक

आजकल लोग बीमारियों के शिकार अधिक क्यों हैं ? अधिकांश लोग खाना न पचना, भूख न लगना, पेट में वायु बनना, कब्ज आदि पाचन सम्बंधी तकलीफों से ग्रस्त हैं और इसी से अधिकांश अन्य रोग उत्पन्न होते हैं। पेट की अनेक तकलीफों में रामबाण एवं प्रकृति का वरदान है अदरक। स्वस्थ लोगों के लिए यह स्वास्थ्यरक्षक है। बारिश के दिनों में यह स्वास्थ्य का प्रहरी है।

सरल है आँतों की सफाई व पाचनतंत्र की मजबूती

शरीर में जब कच्चा रस (आम) बढ़ता है या लम्बे समय तक रहता है, तब अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। अदरक का रस आशामय़ के छिद्रों मे जम कच्चे रस एवं कफ को तथा बड़ी आँतों में जमें आँव को पिघलाकर बाहर निकाल देता है तथा छिद्रों को स्वच्छ कर देता है। इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है और पाचन तंत्र स्वस्थ बनता है। यह लार एवं आमाशय का रस दोनों की उत्पत्ति बढ़ाता है, जिससे भोजन का पाचन बढ़िया होता है एवं अरूचि दूर होता है।

आसान घरेलु प्रयोग

स्वास्थ्य व भूख वर्धक, वायुनाशक प्रयोग

रोज भोजन से पहले अदरक को बारीक टुकड़े-टुकड़े करके सेंधा नमक के साथ लेने से पाचक रस बढ़कर अरूचि मिटती है। भूख खुलती है, वायु नहीं बनती व स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

रूचिकर, भूखवर्धक उदररोगनाशक प्रयोग

100 ग्राम अदरक की चटनी बनायें एवं 100 ग्राम घी में सेंक लें। लाल होने पर उसमें 200 ग्राम गुड़ डालें एवं हलवे की तरह गाढ़ा बना लें। (घी न हो तो 200 ग्राम अदरक को कद्दूकश करके 200 ग्राम चीनी मिलाकर पाक बना लें।) इसमें लौंग, इलायची, जायपत्री का चूर्ण मिलायें तो और भी लाभ होगा। वर्षा ऋतु में 5 से 10 ग्राम एवं शीत ऋतु में 10-10 ग्राम मिश्रण सुबह-शाम खाने से अरुचि, मंदाग्नि, आमवृद्धि, गले व पेट के रोग, खाँसी, जुकाम, दमा आदि अनेक तकलीफों में लाभ होता है। भूख खुलकर लगती है। बारिश के कारण उत्पन्न बीमारियों में यह अति लाभदायी है।

अपचः भोजन से पहले ताजा अदरक रस, नींबू रस व सेंधा नमक मिलाकर लें एवं भोजन के बाद इसे गुनगुने पानी से लें। यह कब्ज व पेट की वायु में भी हितकारी है।

अदरक, सेंधा नमक व काली मिर्च को चटनी की तरह बनाकर भोजन से पहले लें।

खाँसी, जुकाम, दमाः अदरक रस व शहद 10-10 ग्राम दिन में 3 बार सेवन करें। नींबू का रस 2 बूँद डालें तो और भी गुणकारी होगा।

बुखारः तेज बुखार में अदरक का 5 ग्राम रस एवं उतना ही शहद मिलाकर चाटने से लाभ होता है। इन्फलूएंजा, जुकाम, खाँसी के साथ बुखार आने पर तुलसी के 10-15 पत्ते एवं काली मिर्च के 6-7 दाने 250 ग्राम पानी में  डालें। इसमें 2 ग्राम सोंठ मिलाकर उबालें। स्वादानुसार मिश्री मिला के सहने योग्य गर्म ही पियें।

वातदर्दः 10 मि.ली. अदरक के रस में 1 चम्मच घी मिलाकर पीने से पीठ, कमर, जाँघ आदि में उत्पन्न वात दर्द में राहत मिलती है।

जोड़ों का दर्दः 2 चम्मच अदरक रस में 1-1 चुटकी सेंधा नमक व हींग मिला के मालिश करें।

गठियाः 10 ग्राम अदरक छील के  100 ग्राम पानी में उबाल लें। ठंडा होने पर शहद मिलाकर पियें। कुछ दिन लगातार दिन में एक बार लें। यह प्रयोग वर्षा या शीत ऋतु में करें।

गला बैठनाः अदरक रस शहद में मिलाकर चाटने से बैठी आवाज खुलती है व सुरीली बनती है।

सावधानीः रक्तपित्त, उच्च रक्तचाप, अल्सर, रक्तस्राव व कोढ़ में अदरक न खायें। अदरक को फ्रिज में न रखें, रविवार को न खायें।

करेले के उत्तम गुणों का लाभ लेने हेतु

कैसे बनायें करेले की सब्जी ?

बरसात के दिनों में पाचनक्रिया मंद होने से आहार अच्छी तरह पच नहीं पाता। ऐसी दशा में पाचक औषधियाँ लेने के बजाय केवल निम्न विधि से बनायी गयी करेले की सब्जी खायें और इसके आशातीत फायदे स्वयं ही आजमायें।

लाभः यह भूख, रोगप्रतिकारक शक्ति एवं हीमोग्लोबिन बढ़ाती है। अजीर्ण, बुखार, दर्द, सूजन, आमवात, वातरक्त, यकृत (लीवर) व प्लीहा की वृद्धि, कफ एवं त्वचा के रोगों में लाभदायक है। बच्चों के हरे-पीले दस्त, पेट के कीड़े व मूत्र रोगों से रक्षा करती है। विशेषः यकृत की बीमारियों एवं मधुप्रमेह (डायबिटीज) से ग्रस्त लोगों के लिए यह रामबाण है।

विधिः प्रायः सब्जी बनाते समय करेले के हरे छिलके व कड़वा रस निकाल दिया जाता है। इससे करेले के गुण बहुत कम हो जाते हैं।

छिलके उतारे बिना अच्छे से करेलों को धोयें और काट लें। फिर उन्हें कूकर में डाल के थोड़ा पानी, नमक-मिर्च, मसाला और घी या तेल डालें। बंद करके धीमी आँच में पकायें। एक-आधी सीटी पर्याप्त है। हो गयी सब्जी तैयार !

सेवन की मात्राः 50 से 150 ग्राम।

इस तरीके से सब्जी बनाने से करेले के गुणकारी अंश अलग नहीं हो पाते और सेवनकर्ता को करेले के सभी गुण प्राप्त हो जाते हैं।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2014, पृष्ठ संख्या 30-31 अंक 260

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