शरीर को हृष्ट-पुष्ट व बलशाली बनाने का समयः शीतकाल

शरीर को हृष्ट-पुष्ट व बलशाली बनाने का समयः शीतकाल


शीतकाल के अन्तर्गत हेमंत व शिशिर ऋतुएँ (23 अक्तूबर 2015 से 18 फरवरी 2016 तक) आती है। यह बलसंवर्धन का काल होता है। इस काल में उचित आहार-विहार का नियम पालन कर शरीर को स्वस्थ व बलिष्ठ बनाया जा सकता है।
ध्यान रखने योग्य कुछ जरूरी बातें
जब अच्छी ठंड शुरु हो जाय, तब वायु (वात) का शमन करने वाले, बल, रक्त एवं मांस वर्धक पौष्टिक पदार्थ जैसे चना, अरहर, उड़द, तिल, गुड़, नारियल, खजूर, सूखा मेवा, चौलाई, बाजरा, दही, मक्खन, मिश्री, मलाई, खीर, मेथी, गुनगुने दूध के साथ घी (1-2) चम्मच, पौष्टिक लड्डू एवं विविध पाकों का उचित मात्रा में सेवन लाभदायी है।
घी, तेल, दूध, सोंठ, पीपर, आँवला आदि से बने स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजनों का सेवन करना चाहिए।
सुबह नाश्ते हेतु रात को भिगो के सुबह उबाला हुआ चना या मूँगफली, गुड़, गाजर, शकरकंद आदि सस्ता व पौष्टिक आहार है।
औषधियों में अश्वगंधा चूर्ण, असली च्यवनप्राश, मूसली, गोखरू, शतावरी, तालमखाना, सौभाग्य शुंठी पाक आदि सेवन-योग्य हैं।
सप्तधान्य उबटन से स्नान, मालिश, सूर्यस्नान, व्यायाम आदि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हितकारी हैं।
शीतकाल में थोड़ा शीत का प्रभाव सहना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है लेकिन शीत लहर से बचें।
इन दिनों में उपवास अधिक नहीं करना चाहिए। रूखे-सूखे, अति शीतल प्रकृति के, वायुवर्धक, बासी, तीखे, कड़वे, खट्टे व चटपटे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
अच्छी ठंड पड़ने पर भी पौष्टिक आहार न लेना, भूख सहना और देर रात्रि में भोजन करना, पोषक तत्त्वों से रहित रूखा-सूखा आहार लेना आदि शीत ऋतु में शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
पुष्टिकारक प्रयोग
2-3 खजूर घी में भून के खायें अथवा रात को घी में भिगोकर सुबह खायें और इलायची, मिश्री तथा कौंच-बीज का चूर्ण (1 से 2 ग्राम) डाल के उबाला हुआ दूध पियें। यह उत्तम शरीर-पुष्टिकारक योग है।
10-10 ग्राम इलायची व जावित्री का चूर्ण तथा 100 ग्राम पिसी बादाम-गिरी मिलाकर रखें। 10 ग्राम मिश्रण गाय के मक्खन के साथ खाने से धातु पुष्ट होती है, शरीर बलवान बनता है।
6 से 12 वर्ष के बालकों को सबल व पुष्ट बनाने के लिए 1 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण 1 कप दूध में डालकर उबालें। 1 या 2 चम्मच घी व मिश्री डाल के पिलायें। यह प्रयोग 3-4 माह तक करें।
2 ग्राम मुलहठी का चूर्ण, आधा चम्मच शुद्ध घी व 1 चम्मच शहद – तीनों को मिला कर सुबह चाट लें। ऊपर से मिश्री मिला हुआ गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पियें। यह प्रयोग 2-3 महीने नियमित रूप से करने शरीर-पुष्टि होने के साथ-साथ वाणी में माधुर्य आता है।
असली सफेद मूसली और अश्वगंधा समभाग चूर्ण मिला कर रखें। सुबह 1 छोटा चम्मच मिश्रण दूध के साथ सेवन करने से मांस, बल और शुक्र धातु की वृद्धि होती है।
5 ग्राम तुलसी के बीज व 50 ग्राम मिश्री मिलाकर रख लें। 5 ग्राम चूर्ण सुबह गाय के दूध के साथ सेवन करें। यह महा औषधि शुक्र धातु को गाढ़ा करने में चमत्कारिक असर करती है। 40 दिन यह प्रयोग करें। सेवनकाल में ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है।
2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में 5 ग्राम मिश्री, 1 चम्मच शहद व 1 चम्मच गाय का घी मिलायें। रोज सुबह इसका सेवन करने से विशेषतः रक्त, मांस, अस्थि व शुक्र – इन 4 धातुओं व शारीरिक बल की वृद्धि होती है तथा हड्डियाँ, बाल व दाँत मजबूत बनते हैं।
स्रोतः ऋषि प्रसाद नवम्बर 2015, पृष्ठ संख्या 30-31, अंक 275
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