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सब में मेरे राम !!


★ हर साल जन्माष्टमी का महोत्सव पूज्यश्री के सान्निध्य में सुरत आश्रम में मनाया जाता है । मैं हर वक्त पर्व पर सुरत जाता था । जहाँ जहाँ गुरुदेव का कार्यक्रम होता है वहाँ गुरुदेव की कृपा मुझे खींच ले जाती है ।

★ हर साल की नांई इस साल १९९१ की जन्माष्टमी में भी सुरत जाने के लिए उत्सुक था लेकिन मेरा स्वास्थ्य गडबड हो गया । दिल में घबराहट होने लगी । कोई कहने लगा हार्टएटेक है । डाक्टर बुलाया गया । उसने कार्डियोग्राम ग्राफ लिया और तत्काल अस्पताल में भरती हो जाने की सूचना दी । उसने निदान किया कि हृदय का दौरा है ।

★ रात को नौ दस बजे अस्पताल में गये । आई.सी. कमरे में मुझे सुला दिया । पाँव से लेकर सिर तक कई उपकरण लगा दिये गये । मेरे हृदय की गति-विधियों का समाचार देनेवाले संकेत टी.वी. स्क्रीन पर दिखाई दे रहे थे । डॉक्टर लोग यह सब देख रहे थे और विचार विमर्श कर रहे थे ।

★ रात्रि के तीन बजे होंगे । मेरे मन में आया :

‘‘हे सद्गुरु ! हे प्रभु ! हर वक्त आपका जहाँ-जहां सत्संग-कार्यक्रम होता है वहाँ पहुँचने का प्रयास करता हूँ और आपकी कृपा से पहुँच जाता हूँ, लेकिन इस बार जाने अनजाने मुझसे कोई गलती हो गयी है जिससे आपकी कृपा से मैं वंचित रह गया हूँ । सुरत आश्रम के बजाय आज मैं अस्पताल में पडा हूँ । शरीर में तकलीफ है इसका कोई हर्ज नहीं है लेकिन आपके चरणों तक नहीं पहुँच पाया इसका मन में बहुत रंज है…

★ ऐसा सोचते सोचते मैं रो पडा । गुरुदेव को प्रार्थना करने लगा : ‘‘हे मेरे प्रभु ! हे मेरे मौला ! तू कृपा कर… कृपा कर… । इस प्रकार मैं प्रार्थना किये जा रहा था इतने में ही सामने लगे हुये काच के ऊपर गुरुदेव का मुखारविन्द दिखाई देने लगा । उनके इर्दगिर्द श्रीराम, श्रीकृष्ण, भगवान शंकर, कई देवी-देवता और कई संत-महापुरुषों का मण्डल शोभायमान था । गुरुदेव का यह दर्शन करके मैं गद्गद् होकर तृप्त हो रहा था ।

★ गुरुदेव मुझसे कहने लगे :

‘‘मौला ! डाक्टर में मुझे देख… नर्स में मुझे देख… शरीर में लगे हुये यंत्र-उपकरणों में मुझे देख… गोली में मुझे देख… केप्शूल में मुझे देख… इन्जेक्शन की सुई की नोंक में मुझे देख और तेरे आसपास जो सगे-सम्बन्धी बैठे हैं उन सबमें मुझे देख । कण-कण में मुझे देख.. हर जीज में, हर वस्तु में मुझे देख… । अगर तू ऐसा देखेगा तो जहाँ तू पडा है वहाँ आश्रम हो जायेगा । कोई फिकर न कर ।

★ मेरा हृदय गुरुदेव के प्रति अहोभाव से भर आया । मैं भीतर ही भीतर अद्भुत विश्रांति का अनुभव करने लगा । सुबह में नौ बजे डाक्टर देखने आया । वह जाँच करके बोला : इनकी तबियत ठीक हो गयी है । अब दूसरे कमरे में ले जायेंंगे । कल छुट्टी दे देंगे ।

★ गुरुदेव की ऐसी कृपी हुई कि तीन ही दिन में अस्पताल से घर वापस आ गया । ‘कण-कण में मुझे देख, हर चीज में, हर वस्तु में, मुझे देख… वाला उपदेश और साकार दृश्य दोनों ने अद्भुत आरोग्य, आनंद और शांति का दान कर दिया । आश्चर्य है आत्मज्ञान और आश्चर्य है आत्मसाक्षात्कारी पुरुषों की करुणा-कृपा ।

अखिल ब्रह्मांडमां एक तुं श्री हरि ।

जुजवे रूपे अनंत भासे ।।

नरसिंह मेहता का यह वाक्य साकार रूप में दिखानेवाले गुरुदेव को प्रणाम ।

★ अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने विश्वरूप दिखाया और गुरुदेव आसारामजी ने मुझे दिखाया । अर्जुन युद्ध में स्वस्थ हुआ और मैं गंभीर बीमारियों से स्वस्थ हुआ । क्या अद्भुत है आत्मविचार का प्रभाव ! कैसी दिव्य है आत्मदृष्टि ।

वृजलाल भाटीया

कपडे के थोक व्यापारी

न्यू क्लॉथ मारकेट, अमदावाद ।

चमत्कारिक गुरुकृपा बरसी और मौत भी दबे पाँव भाग गयी


★ हमारे शहर में एक नौजवान को पागल कुत्ते ने काट लिया । नौजवान ने इसे अनसुना करके सिर्फ प्राथमिक उपचार करवा लिया, परंतु कुछ ही घण्टों के पश्चात् उस नौजवान के शरीर में पागल कुत्ते का जहर फैलना आरंभ हो गया । परिजनों ने उसे चिकित्सालय में दाखिल करवाया, उस समय उसकी हालत ऐसी थी कि उसकी स्थिति को देखकर कैसे भी मजबूत मनवाले आदमी के रोंगटे खडे हो जायें ।

★ उस नौजवान का सारा शरीर काला पडता जा रहा था । आँखें ऐसी फाड-फाडकर देख रहा था, मानो खूब उबल रहा हो । वह बूरी तरह से तडप रहा था, कभी पलंग पर लोट लगाता तो कभी ऊँची-ऊँची उछलकूद मचाता । पाँच-छः हट्टेकट्टे शरीरवाले युवा भी उसे पकड नहीं पा रहे थे ।

★ उसकी हड्डियों में ऐसी आवाजें आती जैसे अंदर सभी का चुरा हो रहा हो । दाँतों के बीच जिह्वा फँस जाने से वह पूरा लहूलुहान हो चुका था । पल-पल में तरह-तरह की भयानक मुखाकृति बनाता । उसके शरीर में जहर फैलने से उसे इतनी बेचैनी हो रही थी कि उसे गादी और तकिये की सारी रूई को जार-जार करके पूरे वार्ड में फैला दी ।

★ चिकित्सों का कहना था कि यदि इस नौजवान के नाखून भी किसी संभालने वाले को लग जायें तो उसे जहर चढने में तनिक भी देर नहीं लगेगी । चिकित्सकों ने उसे नींद के कई इंजेक्शन भी दिये लेकिन वह काबू से बाहर हो चुका था । चिकित्सकों ने स्पष्ट कह दिया था कि अब यह अंतिम साँसें गिन रहा है, इसे घर ले जाया जाए ।

★ मुझे लगा कि अब जबकि सभी ने हाथ खडे कर दिये हैं, और यह नौजवान भी मौत और जीवन के बीच लड रहा है, तो क्यों न मैं अपने पूजनीय गुरुदेव से इसके लिए ‘जीवनदान” की याचना करूँ ?

★ मेरे अपने अंतःकरण से उसकी सहमति दी और मैं तुरन्त घर पर श्रद्धेय गुरुदेव से सच्चे हृदय से भावविभोर होकर प्रार्थना की :

‘‘हे प्रभु ! मेरे गुरुदेव ! अब आपका ही आसरा है । सभी हार चुके हैं, लेकिन आपके आशीर्वाद से हार विजय में बदल सकती है । हमारे लिए यह कार्य असंभव है और आपके लिए असंभव कुछ भी नहीं । मेरे आसाराम भगवान ! दया करो… आपकी अमृत-कृपा से उसे एक नया जीवन प्रदान हो सकता है । इस तरह मैंने काफी समय तक गद्गद् कंठ से पूज्यश्री से प्रार्थना की और फिर शांत होकर मैं बापू की तस्वीर को निहारने लगा ।

★ यकायक मुझे ऐसी अनुभूति हुई कि : ‘‘अब मौत भी उसका बाल तक बाँका नहीं कर सकती है ।

सुबह जब मैं उस नौजवान के बारे में जानने गया तो पता चला कि डॉक्टर भी खुद दंग रह गया था कि यह क्या चमत्कार हो गया ! जो रात्रि में मौत की प्रतीक्षा कर रहा था, उसने भला नया जीवन कहाँ से पा लिया ? अर्ध रात्रि के बाद मानो उसकी पीडा यकायक गायब हो गयी । उसने ऐसी नींद ली जैसे त्रिलोकी का समूचा सुख उसे ही मिल रहा हो । युवान के मुख पर प्रातःकाल इतनी शान्ति नजर आ रही थी मानो कुछ हुआ ही नहीं हो ।

★ जिस रोग का इलाज सात समुन्दर पार भी संभव नहीं था, वह रोग पलंग पर लेटे-लेटे ही गायब हो गया । यह पूज्य बापू की करुणा का साक्षात् प्रमाण है और वह युवा स्वस्थ है ।

पूज्यश्री की असीम अनुकंपा का क्या बखान किया जाए ? पूज्य बापू पृथ्वी पर साक्षात् ब्रह्माजी हैं, जो देहधारियों में प्राण फूँकते हैं । पूज्य बापू के होते हुये हमें सांसारिक व्याधियों की क्या चिन्ता ?

★ श्रद्धेय गुरुवर की “प्राण-प्रदायिनी” कृपा के लिए हम सभी आपके श्रीचरणों में शत् शत् वन्दन कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं ।

– नीलेश सोनी ‘लोहित”

पत्रकार,

दैनिक प्रसारण, रतलाम (म.प्र.)

बडदादा के जल का वह अदभुत चमत्कार


★ मेरी पत्नी मंजुला को पिछले दिसम्बर माह में पता चला कि उसे कैन्सर की बीमारी हो गयी है । पहले दवाइयाँ शुरू की । किंतु पन्द्रह दिन तक कुछ भी फर्क न पडने के कारण उसे सरसपुर में शारदाबहन अस्पताल में भर्ती किया । वहाँ दस दिन तक इस बीमारी की चिकित्सा की गयी और दस सेंक दिये गये । परंतु वहाँ भी कुछ फर्क न पडने के कारण अस्पताल के अधिकारियों ने इस केस को न्यू सिविल हॉस्पिटल में ट्रांसफर कर दिया ।

★ मेरी पत्नी का दर्द दिनोंदिन बढता जा रहा था । बीमारी पूरे शरीर में फैल गयी थी । डॉक्टरों के कहे अनुसार बीमारी तीन ग्रेड के ऊपर पहुँच गयी थी । पच्चीस जितने सेंक देने के बावजूद उसकी बीमारी में कोई फर्क न पडा । शरीर पूर्ण रूप से खत्म जैसा हो गया था ।

★ सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कह दिया कि मुश्किल से तीन दिन जी सकेगी । हम सब अत्यंत चिंतातुर हो गये । तभी अचानक हमारे एक निकट के संबंधी मिलने आये । उन्होंने हमें परम पूज्य बापू के विषय में जानकारी दी और कहा कि सच्चे हृदय से श्रद्धापूर्वक प्रार्थना करने से आराम होगा । उन्होंने यह भी कहा कि : ‘‘मोटेरा में स्थित आश्रम में एक बडदादा है । वहाँ पाँच प्रदक्षिणा करके संकल्प करके बडदाता के पास पानी की बॉटल रखना और दो-तीन दिन बाद वह पानी लाकर, जब बीमार को पानी पीना हो तब ‘हरि ॐ’ कहकर पानी पिलाना ।’’

★ उनके कहे अनुसार ही मैंने आश्रम में जाकर किया । जिस दिन पानी पिलाया उसी दिन पू. बापू के बडदादा का मानो चमत्कार हुआ । जिस समय पानी पिलाया उसी समय, जो दो महीने से भी अधिक समय से बिल्कुल खाना नहीं खा सकती थी उसने तुरंत ही खाने की माँग की । फिर तो मुझे अटूट श्रद्धा हो गयी ।

★ हर तीन दिन मैं आश्रम में जाकर पानी की बॉटल रख आता और वहाँ रखी हुई बॉटल ले आता । फिर तो मेरी पत्नी को बहुत फायदा होने लगा । मानो अब शरीर में कैन्सर का नामोनिशान तक न रहा । जो पहले पलंग पर से बिल्कुल उठ नहीं सकती थी, बिल्कुल खा-पी नहीं सकती थी वह अब स्वयं चल-फिर सकती है, घर के काम कर सकती है । इतना ही नहीं, पिछले तीन महीनों से प्रत्येक रविवार को सुबह से पूरा दिन आश्रम में ही व्यतीत करती है । बडदादा की प्रदक्षिणा करके, कैसेट सुनकर शाम को घर आती है ।

★ अभी गुरुपूनम के समय, आश्रम में चार दिन, रात-दिन सेवा में ही रही थी । उसके बावजूद उसके शरीर पर थकान, रात्रिजागरण या अन्य कोई असर नहीं हुआ ।

★ परम पूज्य बापू का ऐसा चमत्कार देखकर डॉक्टर भी आश्चर्यचकित हो गये । मेरी पत्नी को तो एक नया जीवन मिला है । पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू के बडदादा के आशीर्वाद से अब वह काफी ठीक हो गयी है । मेरे प्यारे गुरुदेव को मैं, मेरी पत्नी और घर के सभी लोग कोटि-कोटि वंदन करते हैं । लोगों को ऐसे अद्भुत अनुभव सूरत के आश्रम में भी होते हैं और इन्दौर एवं राजकोट के आश्रम में भी होते हैं ।

★ पूज्य बापू(Sant Shri Asaram Bapu ji) के वैदिक विधि से शक्तिपात और योग सामथ्र्य का प्रसाद अद्भुत है, अनुपम है और अलौकिक है । मेरे जैसे तो अनेकानेक लोगों की डूबती नावें इस अलख के औलिया के स्मरण से, चिंतन से, आशीर्वाद से, प्रसाद से तर गयी हैं । धन्य हैं वे लोग, जिन्हें पूज्य बापू का सत्संग सुनने, अनुभव करने और बडदादा की प्रदक्षिणा करने का सौभाग्य मिला है ।

सवजीभाई ए. गज्जर

२८५, बलिया की खिडकी, बडी सालवीवाड,

सरसपुर, अहमदाबाद-३८००१८.