माताएँ ! आप भगवान की भी माँ बन सकती हैं – पूज्य बापू जी

माताएँ ! आप भगवान की भी माँ बन सकती हैं – पूज्य बापू जी


भागवत में आता हैः कश्यप ऋषि की पत्नियों में एक थी दिति और दूसरी थी अदिति । अदिति माने अद्वैत और दिति माने द्वैत । (जो भेद-भाव करे उसका नाम है दिति । जो भेद-भाव न करे, जिसकी बुद्धि समन्यवयात्मक समन्वय करने वाली होती है, उसका नाम है अदिति ।)

एक बार कश्यप जी यज्ञ-मंडप में बैठे थे, संध्या का समय था । दिति ने उनका पल्ला पकड़ा और संसार-व्यवहार की माँग की । कश्यप जी ने कहाः “इस कार्य के लिए यह समय नहीं है, इसमें कालगत दोष है । और इस समय भगवान साम्बसदाशिव आकाश में विचरण करते होंगे इसलिए देवगत दोष है । और यह यज्ञमंडप है, पवित्र स्थान है, यह भोगभूमि नहीं, भक्ति की भूमि है अतः स्थानगत दोष भी है । और तू पति की अवज्ञा करेगी तो यह ठीक नहीं ।”

फिर भी उसको काम ने पीड़ित किया । आखिर कश्यप ऋषि ने आचमन लियाः ‘जो भगवान की मर्जी ।’ ईश्वर को हाथ जोड़े और संसार व्यवहार में उतरे ।

काम आता है तो अंधा कर देता है और जाता है तो थोड़ा वैराग्य दे के सजग कर जाता है । दिति को पश्चाताप हुआ कि ‘पति की आज्ञा का उल्लंघन हो गया और शिवजी का अनादर हो गया और पवित्र जगह पर यह कर्म हो गया । हाय रे ! मेरा क्या होगा !’

कश्यप जी ने कहाः “तूने काम का आश्रय लिया और प्रीति भी काम में की, सारे दोष सिर पर चढ़ा लिये । अब तेरे गर्भ से दैत्य पैदा होंगे, बड़े दुष्ट और लोगों को सताने वाले बेटे पैदा होंगे ।”

दिति पश्चाताप करके चरणों में पड़ी । शिवजी व पति से क्षमायाचना की । कश्यप ऋषि ने कहाः “चलो, बेटे तो ऐसे आयेंगे लेकिन प्रायश्चित्त करती है तो भगवत्कृपा से तेरा पोता भक्त होगा ।”

दिति के गर्भ से हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष ने जन्म लिया और बाद में हिरण्यकशिपु के घर भगवद्भक्त प्रह्लाद का जन्म हुआ ।

भागवत के तीसरे स्कंध में तीन महिलाओं का वर्णन आता है । एक माँ है दिति, जो दैत्य जैसे बच्चों को जन्म देती है । दसरी माँ है शतरूपा, जो भक्त को जन्म देती है और तीसरी माँ है देवहूति, जो भगवान को जन्म देती है । और आठवें स्कंध में चौथी माँ – अदिति का वर्णन आता है, जो देवताओं को जन्म देती है ।

तो माताएँ अपनी कोख से दैत्य संतान को भी जन्म दे सकती हैं, देव जैसे स्वभाव वाले बच्चो को भी जन्म दे सकती हैं, भक्त-स्वभाव के बच्चों को भी जन्म दे सकती है और भक्तों में शिरोमणि परब्रह्म-परमात्मा को पाने वाले ब्रह्मवेत्ता महापुरुष – कबीर जी, नानक जी, रामकृष्ण परमहंस जी, रमण महर्षि, साँईं लीलाशाह जी महाराज जैसों को भी जन्म देकर भगवत्स्वरूप महापुरुषों की माँ भी बन सकती हैं ।

पयोव्रत रखें, आश्रय भगवान का और प्रीति भी भगवान की हो तो जो संतान आयेगी वह भी भगवद्भाव से भरी हुई आयेगी और देर-सवेर भगवान को पा लेगी ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2020, पृष्ठ संख्या 21,22 अंक 325

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