डॉ प्रेमजी के पत्र के जवाब का खंडन -8
आपने आगे लिखा है “आश्रम वाले जितना राग द्वेष करते है इतना तो संसारी लोग भी नही करते।“ अगर आश्रम के साधक राग द्वेष के संस्कारों से रहित ही होते और अहंकार से मुक्त होते तो वे गुरुदेव की शरण क्यों जाते? और गुरुदेव उनको आश्रम में क्यों रखते? उनके राग द्वेष निकल रहे है …