352 ऋषि प्रसाद: अप्रैल 2022

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

अपने सुख को ज्ञान का अनुयायी बनाओ


प्रश्नः हमें यह ज्ञान तो है कि क्या करना चाहिए, क्या नहीं परंतु जब सम्मुख कोई प्रलोभन या आकर्षण आ जाता है तब ज्ञान के विपरीत आचरण होने लगता है । इसका क्या कारण है ? उत्तरः जब तक ज्ञान और सुख एक साथ रहते हैं तब तक अनुचित आचरण नहीं होता । जब सुख …

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…ऐसे लोग ही अधिकारी हैं – पूज्य बापू जी


श्री रामचरित ( उ.कां. 40.1 ) में आता हैः परहित सरिस धर्म नहिं भाई । पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।। निर्नय सकल पुरान बेद कर । कहेउँ तात जानहिं कोबिद नर1 ।। 1 विद्वज्जन । समस्त पुराणों व वेदों का सार यह है कि दूसरों का हित करने बराबर और कोई धर्म नहीं है …

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आज विश्व को अगर किसी चीज की जरूरत है तो… ( पूज्य बापू जी की सारगर्भित अमृतवाणी )


जीवन दुःख, क्लेश, मुसीबतों का बोझ बनाकर पिस मरने के लिए नहीं है, जीवन है आनंदित-उल्लसित होते हुए, माधुर्य भरते हुए, छिड़कते हुए, छलकाते हुए आगे बढ़ने के लिए । सबका मंगल हो, सबकी उन्नति हो, सबका कल्याण हो यही अपना लक्ष्य हो । इससे आपकी वृत्ति, आपकी बुद्धि और आपका हृदय विशाल होता जायेगा …

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