Gurubhaktiyog

शिष्य की कसौटी, सत्ता और बलवन्द का अहं (भाग-1)


गुरु ही मार्ग है, जीवन है और आखिरी ध्येय है। गुरु कृपा के बिना किसी को भी सर्वोत्तम सुख प्राप्त नही हो सकता, गुरु ही मोक्ष द्वार है गुरु ही मूर्तिमन्त कृपा है। गुरु और शिष्य के बीच जो वास्तविक सम्बन्ध है उसका वर्णन नही हो सकता वह लिखा नही जा सकता वह समझाया नही …

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कई शिष्यों के मन में दंश करते एक प्रश्न का पूज्य गुरु जी द्वारा संशय निवारण…


पवित्र गुरु गीता का जो हर रोज अभ्यास करता है वही सच्चा विशुद्ध है। उसे ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो अपने गुरु के यश में आनंदित होता है और दूसरों के समक्ष अपने गुरु के यश का वर्णन करने में आनंद का अनुभव करता है उसे सचमुच गुरु कृपा प्राप्त होती है। आपको …

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परमहंस योगानंद जी को इंतजार था उनके शिष्य के दुबारा जन्म लेने का और वह समय आ गया..


कई समर्पित शिष्यों को रांची के किसी आश्रम में सद्गुरु परमहंस योगानंदजी अपने सानिध्य से सींच रहे थे । एक दिन काशी नाम का समर्पित युवान शिष्य के अंतर्मन में एक विचित्र जिज्ञासा उठी। हे गुरुवर! आप तो सर्वज्ञ है सर्वान्तर्यामी है। किसी की कोई भी बात भला आपसे कहां छिपी है। आप तो भुत …

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