शिष्य की कसौटी, सत्ता और बलवन्द का अहं (भाग-1)
गुरु ही मार्ग है, जीवन है और आखिरी ध्येय है। गुरु कृपा के बिना किसी को भी सर्वोत्तम सुख प्राप्त नही हो सकता, गुरु ही मोक्ष द्वार है गुरु ही मूर्तिमन्त कृपा है। गुरु और शिष्य के बीच जो वास्तविक सम्बन्ध है उसका वर्णन नही हो सकता वह लिखा नही जा सकता वह समझाया नही …