Gurubhaktiyog

अजामिल का पतन (भाग-1)….


सद्गुरु पैगम्बर और देवदूत है विश्व के मित्र और जगत के लिए कल्याणमय है। पीड़ित मानवजाति के ध्रुवतारक है,सच्चे गुरु शिष्य का प्रारब्ध बदल सकते है। अजामिल ब्राह्मण कुल में जन्म लेने और राजपण्डित का पुत्र होने का सौभाग्य उसके माथे पर था। साथ ही उसकी स्वयं की मेधा शक्ति ऐसी थी कि सब देखते …

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वीर गुरुभक्त बसन्तलता की महान दास्तान (भाग-1)


गुरु के उपदेश में अविचल और अविरत श्रद्धा सच्ची भक्ति का मूल है। गुरु सदैव अपने शिष्य के हॄदय में बसते है। कबीर जी कहते है- *गुरु और गोविंद दोनों मेरे समक्ष खड़े है तो मैं किसको प्रणाम करुं??* धन्य है वे गुरुदेव जिन्होंने मुझे गोविंद के दर्शन करवाये । केवल गुरु ही अपने योग्य …

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वहाँ गुरु ने संकल्प किया और यहाँ योगानन्द जान गए लेकिन कैसे…??


गुरु की कृपा अखुट,असीम एवं अवर्णनीय है। श्रद्धा के द्वारा निमेष मात्र में आप परम् पदार्थ पा लेंगे। गुरु के वचन एवं कर्म में श्रद्धा रखो श्रद्धा रखो श्रद्धा रखो..। गुरुभक्ति विकसित करने का यही मार्ग है। गुरु के चरण में आत्मसमर्पण करना यह शिष्य का आदर्श होना चाहिए । गुरु महान है, विपत्तियों से …

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