Gurubhaktiyog

समर्थ गुरु और दम्भी शिष्य (भाग-1)


अपने आपको आचार्य की सेवा में सौंप दो, तन,मन एवं आत्मा को खूब तत्परता से अर्पण कर दो। गुरु श्रद्धा का सक्रिय स्वरूप माने गुरु के चरण कमलों में सम्पूर्ण आत्मसमपर्ण करना। गुरु सेवा के नित्य क्रम में खूब नियमित रहो। गुरु के वचनों में विश्वास रखना यह अमरत्व के द्वार खोलने के लिए गुरु …

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इंद्रपुर पाकर भी दुःख हाथ लगा….


कर्मयोग, भक्तियोग, हठयोग, राजयोग आदि सब योगों की नींव गुरूभक्तियोग है। जो मनुष्य गुरूभक्तियोग के मार्ग से विमुख है वह अज्ञान, अन्धकार एवं मृत्यु की परम्परा को प्राप्त होता है। गुरूभक्तियोग का अभ्यास जीवन के परम ध्येय की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। गुरूभक्तियोग का अभ्यास सबके लिए खुल्ला है। सब महात्मा एवं विद्वान पुरूषों …

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लक्ष्मण जी की सबसे बढ़िया यात्रा….


गुरूभक्तियोग में सब योग समाविष्ट हो जाते हैं। गुरूभक्तियोग के आश्रय के बिना अन्य कई योग, जिनका आचरण अति कठिन है, उनका सम्पूर्ण अभ्यास किसी से नहीं हो सकता। गुरूभक्तियोग में आचार्य की उपासना के द्वारा गुरूकृपा की प्राप्ति को खूब महत्त्व दिया जाता है। गुरूभक्तियोग वेद एवं उपनिषद के समय जितना प्राचीन है। गुरूभक्तियोग …

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