Gurubhaktiyog

महान संकट की ओर बढ़ रहे थे कदम और बुल्लेशाह अंजान था (भाग-1)


गुरु के चरण कमल में आत्मसमर्पण करना यह शिष्य का आदर्श होना चाहिए, गुरु महान हैं विपत्तियों से डरना नहीं है, वीर शिष्यों आगे बढ़ो, शिष्य के ऊपर जो आपत्तियां आती है वे छुपे वेश मे गुरु के आशीर्वाद के समान होती है, कल हमने सुना कि इनायत शाह ने बुल्लेशाह को अहंकार से दूर …

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अद्भुत था गुरु अर्जुन देव जी का अपने गुरु के प्रति हृदयस्‍पर्शी भाव


गुरु के चरण कमल में आत्मसमर्पण करना यह शिष्य का आदर्श होना चाहिए। गुरु की कृपा अखूट असीम और अर्वननीय है। श्री गुरु अर्जुन देव जी भी एक बार गुरु से बिछोह के दौर से गुजरे थे। विरह के दौर से गुजरे उनके गुरु श्री रामदास जी ने उन्हें किसी विवाह उत्सव पर स्वयं से …

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एक साधारण अनपढ़-सा शिष्य लाटू कैसे बन गये स्वामी अद्भुतानंद जी…


केवल गुरु की शरण में जाने से ही जीवन को जीता जा सकता है। गुरुभक्तियोग के अभ्यास से, मन को संयम में लाने से कामवासना की शान्ति हो सकती है। गुरुसेवा आपको बिल्कुल स्वस्थ और तंदुरुस्त रखती है। गुरुभक्तियोग का अभ्यास आपको अमाप एवं अनहद आनंद देता है।गुरुसेवा अद्वैत भाव में एकरूपता पैदा करती है। …

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