Gurubhaktiyog

आखिर क्यूँ गुरू ने शिष्य से दक्षिणा में एक थैला भरके सूखी पत्तियों की मांग की….


बड़ी ही प्रचलित कथा है यह गुरु और शिष्य की, फिर भी मनन करने योग्य है।एक बार की बात है, गुरुकुल में जब शिष्य ने अपना अध्ययन संपूर्ण करने पर, अपने गुरु जी से यह बताने के लिए विनती की कि उन्हें गुरु दक्षिणा मे क्या चाहिए?। गुरुजी पहले तो मंद मंद मुस्कुराए और फिर …

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संत-सेवा का फल


● तैलंग स्वामी बड़े उच्चकोटि के संत थे। वे 280 साल तक धरती पर रहे। रामकृष्ण परमहंस ने उनके काशी में दर्शन किये तो बोलेः “साक्षात् विश्वनाथजी इनके शरीर में निवास करते हैं।” उन्होंने तैलंग स्वामी को ‘काशी के विश्वनाथ’ नाम से प्रचारित किया।● तैलंग स्वामी का जन्म दक्षिण भारत के विजना जिले के होलिया …

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लक्ष्य ठीक तो सब ठीक…


गुरु-सन्देश – लक्ष्य न ओझल होने पाये,कदम मिलाकर चल।सफलता तेरे चरण चूमेगी,आज नहीं तो कल ।। एक मुमुक्ष ने संत से पूछा :”महाराज मै कौन सी साधना करूँ ?”संत बड़े अलमस्त स्वभाव के थे । उनकी हर बात रहस्यमय हुआ करती थी।उन्होंने जवाब दिया : “तुम बड़े वेग से चल पड़ो तथा चलने से पहले …

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