Gurubhaktiyog

बाबा बुल्ले शाह कथा प्रसंग भाग -8


मेरी दिवानगी पर होशवाले बेशक़ बहस फ़रमाये मगर पहले उन्हें दीवाना बनने की जरूरत है। यह हक़ीकत है बुल्लेशाह तो अपने गुरु इनायत शाह के प्रेम में दीवाना हो चुका था। इस कदर कि उसमें दुनिया के चलन-चलावों का रत्तीभर होश बाकी न रहा था।इस बेहोशी के आलम में उसके मुरीद मन से जो काफ़िया …

Read More ..

बाबा बुल्ले शाह कथा प्रसंग (भाग -7)


बुल्लेशाह कुछ ऐसा करना चाहता था कि घरवाले और समाज के लोग उसका पीछा छोड़ दे और वह अपने गुरु के चरणों में अपना सहज जीवन यापन कर सके।इसलिए आज वह निकल पड़ा।लम्बे डग भरता हुआ वह सीधा पहुँचा धोबी घाट पर।धोबी भी हजरत इनायत का एक शिष्य ही था। इसलिए आश्रम से आये अपने …

Read More ..

बाबा बुल्ले शाह कथा प्रसंग (भाग -6)


सद्गुरु की ख़ुदाई अदाओं की आँधी संसार के परखच्चे उड़ा देती है। फिर शिष्य की इस जमीं पर गुरु अपने प्यार भरे हाथों से रूहानियत का एक नया नगर बसाते है। ऐसा नगर जहाँ सिर्फ शुद्ध प्रेम की ठंडी बयार बहती है।जिसमें सहज समर्पण की सुगंध घुलि होती है। जहाँ विश्वास पूरे यौवन में गुलज़ार …

Read More ..