बाबा बुल्ले शाह कथा प्रसंग भाग -8
मेरी दिवानगी पर होशवाले बेशक़ बहस फ़रमाये मगर पहले उन्हें दीवाना बनने की जरूरत है। यह हक़ीकत है बुल्लेशाह तो अपने गुरु इनायत शाह के प्रेम में दीवाना हो चुका था। इस कदर कि उसमें दुनिया के चलन-चलावों का रत्तीभर होश बाकी न रहा था।इस बेहोशी के आलम में उसके मुरीद मन से जो काफ़िया …