116 ऋषि प्रसादः अगस्त 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सनातन धर्म की महिमा


  संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से सनातन धर्म की स्थापना किसी साधु-संत, जती-जोगी या तपस्वी ने की, ऐसी बात नहीं है। यहाँ तक कि भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण या अन्य अवतारों ने भी सनातन धर्म की स्थापना नहीं की बल्कि श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसी विभूतियाँ सनातन धर्म में प्रकट हुईं। सनातन धर्म तो …

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शम ही परम आनंद है…..


  संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से श्री वशिष्ठजी महाराज कहते हैं- “हे राम जी, शम ही परम आनंद, परम पद और शिवपद है। जिस पुरुष ने शम को पाया है सो संसार-समुद्र से पार हुआ है। उसके शत्रु भी मित्र हो जाते हैं। हे राम जी ! जैसे चंद्र उदय होता है …

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विषय विकारों से वैराग्य करें….


  संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ के तेरहवें अध्याय के आठवें श्लोक में आता हैः इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहंकार एव च। जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम्।। ‘इस लोक तथा परलोक के सम्पूर्ण भोगों में आसक्ति का अभाव और अहंकार का भी अभाव, जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दुःख और दोषों का बार-बार विचार करना (यह …

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