विवेक की महिमा
संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से विवेकी मनुष्य को संसार के भोगों से वैराग्य होता है और विषय-रस में नीरस बुद्धि होती है। ‘संसार के भोग बाहर से कितने सुंदर, रसदायी और सुखदायी दिखते हैं किन्तु अंत में देखो तो कुछ भी नहीं….’ ऐसा विचार विवेकी को होता है। जैसे मलिन वस्त्रों को …