280 ऋषि प्रसादः अप्रैल 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संतों की महानता और निंदकों की नीचता


(श्री माँ आनंदमयी जयंतीः 30 अप्रैल 2016) आनंदमयी माँ के पति का नाम था श्री रमणी मोहन चक्रवर्ती। बाद में उनका नाम भोलानाथ रखा गया। जब वे उत्तरकाशी गये थे तो मसूरी में ज्योतिष नाम के एक व्यक्ति के पास माँ को छोड़कर गये थे। ज्योतिष आनंदमयी माँ को माता तथा भोलानाथ को पिता मानता …

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माँ और मैं एक ही हैं


स्वामी श्री अखंडानंद सरस्वती जी बताते हैं कि “एक बार आनंदमयी माँ के भक्त आये और उन्होंने श्री उड़िया बाबाजी से पूछा कि “महाराज जी ! आप श्री आनंदमयी माँ को क्या मानते हैं ?” इस प्रश्न में जो असंगति है उसको आप देखो। मानी वह चीज जाती है जो परोक्ष (अप्रत्यक्ष) होती है। जैसे …

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जीवन वृथा जा रहा है अज्ञानियों का


श्री योगवाशिष्ठ महारामायण में श्री वसिष्ठ जी कहते हैं-  हे राम जी ! अपना वास्तविक स्वरूप ब्रह्म है। उसके प्रमाद से जीव मोह (अज्ञान) और कृपणता को प्राप्त होते हैं। जैसे लुहार की धौंकनी वृथा श्वास लेती है वैसे ही इनकी चेष्टा  व्यर्थ है। पूज्य बापू जीः जैसे लुहार की धौंकनी वृथा श्वास लेती है, …

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