115 ऋषि प्रसादः जुलाईः 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

मंत्रजाप-महिमा


(सिद्धान्तों को समझने के लिए शास्त्रों-पुराणों में कथा-वार्ताएँ हैं, उसी के कुछ अंशरूप, रोहतक मार्च 2001 में हुए सत्संग-ज्ञानयज्ञ में अपने प्यारों को मंत्रजाप के विषय में पूज्य बापू जी समझा रहे हैं-) पुराण में कथा आती हैः कौशिकवंशी पिप्पलाद का पुत्र मंत्रदीक्षा लेकर गुरुमंत्र जपने लगा। कई वर्षों तक संयमपूर्वक एकान्त में जपने लगा। …

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दो प्रकार के साधन


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से वेदों में मुख्य रूप से दो प्रकार के साधन बताये गये हैं- विधेयात्मक और निषेधात्मक। यजुर्वेद के बृहदारण्यक उपनिषद् में आता है अहं ब्रह्मास्मि। अर्थात् ‘मैं ब्रह्म हूँ…’ तो जो मैं-मैं बोलता है, वह वास्तव में ब्रह्म है। लेकिन देह को मैं मानकर आप ब्रह्म नहीं होगे। …

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दासबोध


चार प्रकार की मुक्तियाँ होती हैं- सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य, सायुज्य। जिस देवता का भजन-पूजन किया, उसी देवता के लोक में निवास, इसे सालोक्य मुक्ति कहा जाता है। देवता के समीप रहना – यह सामीप्य मुक्ति है। प्रिय देवता के समान रूप प्राप्त होना – यह सारूप्य मुक्ति है। स्वर्गलोक में पुण्यों के समाप्त होने पर …

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