276 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2015

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, सास्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गुरु-शिष्य का शाश्वत नाता


योगी श्यामाचरण लाहिड़ी बंगाल के प्रसिद्ध संत हो गये। संत बनने से पहले के जीवन में वे दानापुर में सरकार के ‘सैनिक इंजीनियरिंग विभाग’ में अकाउंटेंट के पद पर कार्य करते थे। एक दिन प्रातःकाल ऑफिस मैनेजर ने उन्हें बुलवाया और कहाः “लाहिड़ी ! हमारे प्रधान कार्यालय से अभी-अभी एक तार आया है। तुम्हारा स्थानांतरण …

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बापू जी के प्रेरक जीवन प्रसंग


पूज्य बापू जी की पेड़ पौधों से तादात्म्यता बापू जी प्राणिमात्र के हित में रत महापुरुष हैं। मूक पेड़-पौधों की भी पीड़ा बापू जी को द्रवीभूत कर देती है और उनकी पीड़ा दूर करने के प्रयास में वे लग जाते हैं। हरिद्वार आश्रम के पास से गंगा जी की धाराएँ बहती हैं। धाराओं के बीच …

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कृतघ्न, निंदक बनता है अपने ही विनाश का कारण


महाभारत में एक कथा आती है। भीष्म पितामह युधिष्ठिर से बोलेः “किसी निर्जन वन में एक जितेन्द्रिय महर्षि रहते थे। वे सिद्धि से सम्पन्न, सदा सत्त्वगुण में स्थित, सभी प्राणियों की बोली एवं मनोभाव को जानने वाले थे। महर्षि के पास क्रूर स्वभाव वाले सिंह, बाघ, चीते, भालू तथा हाथी आदि भी आते थे। वे …

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