266 ऋषि प्रसादः फरवरीः 2015

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

जीव को ब्रह्म बनाने का विश्वविद्यालय


भगवत्पाद सदगुरुदेव साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज की आज्ञा से पूज्य बापू जी ने संवत् 2028 में गुरुपूर्णिमा अर्थात् 8 जुलाई 1971 को अहमदाबाद की धरती पर चरण रखे। आश्रम स्थापना के बारे में पूज्य श्री बताते हैं- “हम वाड़ज (अहमदाबाद) में सत्संग करने के लिए आये थे। शहरी माहौल से हमारा चित्त ऊब गया …

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गुरु का बंधन परम स्वतन्त्रता है – पूज्य बापू जी


गुरु और भगवान का बंधन, बंधन नहीं है, वह तो प्रेम से, धर्म से, स्वयं अपनी मर्जी से स्वीकारा गया ज्ञान-प्रकाशदायी अनुशासन है। विकारों के बंधन से छूटने के लिए शास्त्र, गुरु और भगवान के बंधन में रहना हजारों स्वतंत्रताओं से ज्यादा हितकारी है। मैं गुरु के बंधन में रहा। दाढ़ी बाल तब छँटवाता जब …

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क्या जाने वो कैसो रे………


(भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज का प्राकट्य दिवसः 16 मार्च 2015) ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के क्रियाकलाप सहज होते हैं। उनके श्रीमुख से निकली सहज वाणी ओभी ईश्वरीय वाणी होती है। उससे कितनों का भला हो जाता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है यह घटना एक बार जेतपुर (गुजरात) में ‘अखिल भारत लोअर सिंध पंचायत’ का सम्मेलन …

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