117 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

जीवनोपयोगी सूत्र


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से जीवन की शोभा और ऊँचाई आवश्यकता पूर्ति और वासना-निवृत्ति में है। मनुष्य में एक होती है वासना से प्रेरित चेष्टा और दूसरी होती है आवश्यकता की पूर्ति। इच्छाओं को सुनिंयत्रित करके निवृत्त करने से जीवन चमकता है और आवश्यकता की सहज में ही पूर्ति होती है। जीवन …

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कर्म कैसे करें ?


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ के तीसरे अध्याय ‘कर्मयोग’ में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर। असक्तो ह्याचरन्मकर्म परमाप्नोति पूरुषः।। ‘तू निरन्तर आसक्ति से रहित होकर सदा कर्तव्य कर्म को भली भाँति करता रह। क्योंकि आसक्ति से रहित होकर कर्म करता हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त …

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अलख पुरुष की आरसी….


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से संत कबीर से किसी ने पूछाः “हम निर्गुण-निराकार परमात्मा को तो नहीं देख सकते, फिर भी देखे बिना न रह जायें ऐसा कोई उपाय बताइये।” कबीर जी ने कहाः अलख पुरुष की आरसी, साधु का ही देह। लखा जो चाहे अलख को, इन्हीं में तू लख लेह।। …

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