048 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 1996

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भगवत्प्राप्ति की लालसा और व्यवहार में असंगता


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू भगवत्प्राप्ति के बिना जीवन व्यर्थ है क्योंकि जिस शरीर को खिलाया-पिलाया, जिन इन्द्रियों को चखाया, सुँघाया, सुनाया-वे सब एक दिन जल जाने वाली हैं। शरीर एवं इन्द्रियों के भोगों को भोगते-भोगते तो कई भोगी मर गये, कई जिन्दगियाँ  पूरी हो गयीं, कई सदियाँ बीत गयीं किन्तु भोगों से पूर्ण तृप्ति …

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आलू


आलू एक प्रचलित खाद्य पदार्थ है। सब्जी बनाने में विशेष रूप से इसका उपयोग किया जाता है। आयुर्वैदिक मतानुसार आलू शीतल, मधुर रूक्ष, पचने में भारी, मल को बाँधने वाला, शरीर को भारी करने वाला, रक्तपित्तनाशक, मल-मूत्र निस्सारक, बलकारक, पोषक एवं दुग्धवर्धक है। इसे बिना छिलके के अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में …

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