भगवत्प्राप्ति की लालसा और व्यवहार में असंगता
पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू भगवत्प्राप्ति के बिना जीवन व्यर्थ है क्योंकि जिस शरीर को खिलाया-पिलाया, जिन इन्द्रियों को चखाया, सुँघाया, सुनाया-वे सब एक दिन जल जाने वाली हैं। शरीर एवं इन्द्रियों के भोगों को भोगते-भोगते तो कई भोगी मर गये, कई जिन्दगियाँ पूरी हो गयीं, कई सदियाँ बीत गयीं किन्तु भोगों से पूर्ण तृप्ति …