निंदा से कोढ़ नाश ! – पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू
मृत्यु के भय से तो मृत्यु तो बढ़िया है और बदनामी के भय से बदनामी अच्छी है। ʹबदʹ होना बुरा नहीं है। इक्ष्वाकु कुल के राजा को कोढ़ की बीमारी हो गयी। दिन का चैन और रात की नींद हराम हो गयी। सारे हकीम और वैद्य अपना-अपना इलाज आजमाकर थक चुके थे। आखिर वह राजा …