199 ऋषि प्रसादः जुलाई 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

बिना मृत्यु के पुनर्जन्म !


एक चोर ने राजा के महल में चोरी की । सिपाहियों को पता चला तो उन्होंने उसके पदचिह्नों का पीछा किया । पीछा करते-करते वे नगर से बाहर आ गये । पास में एक गाँव था । उन्होंने चोर के पदचिह्न गाँव की ओर जाते देखे । गाँव में जाकर उन्होंने देखा कि एक जगह …

Read More ..

परिप्रश्नेन


प्रश्नः पूज्य बापू जी ! मैंने ‘वासुदेव सर्वम्’ इस मंत्र को आत्मसात करने का लक्ष्य बनाया था । भले लोगों में तो वासुदेव का दर्शन संभव लगता है परंतु बुरे लोगों में, बुरी वस्तुओं में नहीं लगता तो इस हेतु क्या किया जाय ? पूज्य बापू जीः गुरुजी वासुदेव स्वरूप हैं, श्रीकृष्ण, गायें आदि वासुदेवस्वरूप …

Read More ..

गुरुभक्तियोग – स्वामी शिवानंद जी सरस्वती


याद रखना चाहिए कि मनुष्य की अंतरात्मा पाशवी वृत्तियों, भावनाओं तथा प्राकृत वासनाओं के जाल में फँसी हुई है । मनुष्य के मन की वृत्ति विषय और अहं की ओर ही जायेगी, आध्यात्मिक मार्ग में नहीं मुड़ेगी । आत्मसाक्षात्कार की सर्वोच्च भूमिका में स्थित गुरु में शिष्य अगर अपने व्यक्तित्व का सम्पूर्ण समर्पण कर दे …

Read More ..