199 ऋषि प्रसादः जुलाई 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

अपना-पराया – पूज्य बापू जी


साधक को जब मंत्र मिलता है न, तो वह मौन हो जाता है, जपते-जपते चुप हो जाता है । कैकेयी को भी मंत्र मिला था और वह चुप हो गयी थी, उसको मौन रुच रहा था । उसको मंत्र किसने दिया था ? वसिष्ठ महाराज ने दिया था कि अन्य किन्हीं ब्रह्मज्ञानी महापुरुष ने दिया …

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सच्चे तीर्थ


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् । ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढ़व्रताः ।। भगवना बोलते हैं- येषां त्वन्तगतं पापं… जिनके पापों का अंत होता है, जनानां पुण्यकर्मणाम् । जिनके पुण्य जोर मारते हैं, ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ताः… वे द्वन्द्व और मोह से मुक्त होकर भजन्ते मां दृढ़व्रताः । सत्संग में, साधना में, …

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दुःखी न होना तुम्हारे हाथ की बात है ! – पूज्य बापू जी


तुम निंदनीय काम न करो फिर भी अगर निंदा हो जाती है तो घबराने की क्या जरूरत है ? तुम अच्छे काम करो, प्रशंसा होती है तो जिसने करवाया उसको दे दो । बुरे काम हो गये तो प्रायश्चित्त करके रुको लेकिन जरा-जरा सी बात में थरथराओ मत । संसार है, कभी दुःख आयेगा, कभी …

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