231 ऋषि प्रसादः मार्च 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

परहित में छुपा स्वहित


(पूज्य बापू जी की परम हितकारी अमृतवाणी) आपके जीवन में देखो कि आप बहू हो तो सासु के काम आती हो कि नहीं ? देरानी हो तो जेठानी के और जेठानी हो तो देरानी के काम आती हो ? पड़ोसी हो तो पड़ोस के काम आती हो ? आप ईश्वर के काम आते हो ? …

Read More ..

हनुमान जी की सेवानिष्ठा


हनुमान जयंतीः  (पूज्य बापू जी की अमृतवाणी) सेवा क्या है ? जिससे किसी का आध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक हित हो वह सेवा है। सेवक को जो फल मिलता है वह बड़े-बड़े तपस्वियों, जती-जोगियों को भी नहीं मिलता। सेवक को जो मिलता है उसका कोई बयान नहीं कर सकता लेकिन सेवक ईमानदारी से सेवा करे, दिखावटी सेवा …

Read More ..

एक में अनेक, अनेक में एक


एक-ही-एक (पूज्य बापू जी के मुखारविंद से निःसृत ज्ञानगंगा) अणोरणीयान्महतो महीयानात्मास्य जन्तोर्निहितो गुहायाम। ʹइस जीवात्मा की हृदयरूपी गुफा में रहने वाला परमात्मा सूक्ष्म से अति सूक्ष्म और महान से भी महान है।ʹ (कठोपनिषद, द्वितिय वल्लीः 20) उसके विषय में कहा गया हैः न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः। अजो नित्यः …

Read More ..