236 ऋषि प्रसादः अगस्त 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

आखिर यह भी तो नहीं रहेगा !


(पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी अमृतवाणी) एक फकीर यात्रा करने गया। रास्ते में किसी गाँव में रात पड़ी तो लोगों से बोलाः “रात पड़ी है, मुझे कहाँ ठहरना चाहिए ? है कोई यहाँ धर्मात्मा आदमी ?” बोलेः “धर्मात्मा तो बहुत हैं, धनी भी बहुत हैं लेकिन एक शुक्रगुजार व्यक्ति है, उसको लोग ʹशाकिरʹ बोलते हैं। …

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अधिक मास का माहात्म्य


(अधिक मासः 18 अगस्त से 16 सितम्बर) अधिक मास में सूर्य की संक्रान्ति (सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश) न होने के कारण इसे ʹमलमासʹ (मलिन मास) कहा गया। स्वामीरहित होने से यह मास देव-पितर आदि की पूजा तथा मंगल कर्मों के लिए त्याज्य माना गया। इससे लोग इसकी घोर निन्दा करने …

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