अपना वास्तविक स्वरूप जानो !
महर्षि पराशर अपने शिष्य मैत्रेय को जीव के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान देते हुए कहते हैं- “हे शिष्य ! सुख-दुःख, हर्ष-शोक, धर्म-अधर्म का जो ज्ञाता है, जिससे ग्रहण-त्याग दोनों सिद्ध होते हैं तथा स्थूल, सूक्ष्म व कारण तीनों शरीर और उनके धर्म जिसके द्वारा प्रकाशित नहीं कर सकता, वह चैतन्य स्वयं ज्योति तुम्हारा स्वरूप है। …