261 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2014

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

दुःख का मूल कारण क्या ?


दुःख दो प्रकार का है – एक तो वस्तु के कम-अधिक होने का और दूसरा मन की परिस्थिति बदलने का। इसमें भी सभी विचारवान यह मानते हैं कि वस्तु सुखद या दुःखद नहीं होती। अविद्या के कारण हम जिस वस्तु से अपना संबंध जोड़ लेते हैं वही सुख-दुःख देती हैं। शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध …

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दशहरे के दस विजयसूत्र


‘श्रीमद् भागवत’ के ग्यारहवे स्कंध के तेरहवें अध्याय के चौथे श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी को बोलते हैं- आगमोऽपः प्रजा देशः कालः कर्म च जन्म च। ध्यानं मन्त्रोऽथ संस्कारो दशैते गुणहेतवः॥ ‘शास्त्र, जल, प्रजाजन, देश, समय, कर्म, जन्म, ध्यान, मंत्र और संस्कार- ये दस वस्तुएँ यदि सात्विक हों तो सत्वगुण की, राजसिक हों तो रजोगुण …

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