262 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2014

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

दुनिया में आकर तुमने क्या किया ?


भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज महानिर्वाण दिवसः 1 नवम्बर 2014 परमात्मारूपी मंजिल को तय करने के लिए योग मार्गदर्शन देने वाले ब्रह्मवेत्ता सदगुरुओं की महिमा अवर्णनीय है। वे महापुरुष केवल दिशा ही नहीं बताते बल्कि सरल युक्तियों से उस मार्ग पर ले भी चलते हैं। ऐसे ही सदगुरु थे श्रोत्रिय, ब्रह्मनिष्ठ साँईं श्री लीलाशाहजी …

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तुलसी महिमा


(तुलसी विवाह प्रारम्भः 3 नवम्बर 2014) तुलसी के निकट जिस मंत्र-स्तोत्र आदि का जप-पाठ किया जाता है, वह सब अनंत गुना फल देने वाला होता है। प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, भूत, दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते हैं। ब्रह्महत्या आदि पाप तथा पाप और खोटे विचारों से उत्पन्न होने वाले रोग तुलसी के …

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जीव-सृष्टि से ही दुःख निकला


अविद्या, अस्मिता, राग-द्वेष और अभिनिवेश – ‘योगदर्शन’ के अनुसार ये दुःख के कारण हैं। योगी कहते हैं कि अविद्या के इस परिवार का नाश कर दो विवेक-ख्याति से। वह होगी चित्तवृत्तियों के निरोध से। समाधि में जब द्रष्टा अपने स्वरूप में स्थित होगा, तब व्युत्थान-दशा में जान जायेगा कि संसार की किसी वस्तु से मेरा …

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