295 ऋषि प्रसादः जुलाई 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भगवान की भक्तवत्सलता व संत की करुणा-कृपा


कृष्णदास जी का जन्म राजस्थान के ब्राह्म परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही बड़े ईश्वर-अनुरागी और साधु-संग प्रेमी थे। उन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहकर भगवद्-भजन करने का निश्चय किया और रामानंद जी के शिष्य श्री अनंतानंदाचार्यजी से दीक्षा ली। वे गुरु-सान्निध्य में सेवा-साधना करते हुए कुछ काल रहे तथा उसके बाद गुरु-संकेत अनुसार कुल्लू …

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पारिवारिक विचार-विमर्श का आदर्श व वचन-पालन की अडिगता


भगवान श्रीरामचन्द्र जी के वनवास के दौरान का प्रसंग है। भगवान राम सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ एक-एक ऋषि आश्रम में गये। ऋषियों से मिलकर उनका कुशल-मंगल पूछा। ऋषि-मुनियों ने राक्षसों के आतंक के बारे में बताया तो राम जी का हृदय करुणा से भर गया और उन्होंने निश्चय कर लिया कि ‘मैं …

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धर्मराज भी जिनका करते हैं आदर-सत्कार !


सत्संग की महिमा अपार है। ‘पद्म पुराण’ में भगवान महादेवजी ने देवर्षि नारदजी को सत्संग श्रवण व सत्पुरुषों को दान करने की महिमा के संदर्भ में एक बड़ी ही रोचक व प्रेरणापद कथा सुनायी है। महादेव जी ने कहाः “देवर्षे ! ब्रह्मपुत्र सनत्कुमार ने मुझे यह उपाख्यान सुनाया था। सनत्कुमार जी बोलेः “एक दिन मैं …

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