295 ऋषि प्रसादः जुलाई 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

रूप में भिन्नता तत्त्व में एकता


संत तुलसीदास जी जयंतीः 30 जुलाई एक युवक ने आनंदमयी माँ के सम्मुख जिज्ञास प्रकट कीः “माँ ! संत तुलसीदास जी तो महान ज्ञानी व भक्त थे।…” माँ ने कहाः “निःसंदेह वे थे ही !” “उन्हें जब भगवान ने श्रीकृष्ण के विग्रहरूप में दर्शन दिये, तब उन्होंने यह क्यों कहा कि ‘मैं आपका इस रूप …

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मानव-जाति का इतिहास है सुख-विकास की कहानी


मनुष्य और मनुष्य से भिन्न प्राणियों में एक बड़ा अंतर यह है कि उन प्राणियों में जहाँ  प्राप्त सुख में संतोष अथवा तृप्ति है वहाँ मनुष्य में उच्च से उच्चतर सुखों की उपलब्धि की आकांक्षा एवं प्रयास है। मानव-जाति का इतिहास सुख-विकास की कहानी है। परंतु मनुष्य ने पाया क्या है ? उसने धन इकट्ठा …

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भोजन में षड् रसों का महत्त्व


उत्तम स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि रस, रक्त आदि शरीर की सभी धातुएँ व वात-पित्त-कफ सम अवस्था में रहें। धातुओं व त्रिदोषों को समय रखने के लिए आहार का सर्वरसयुक्त होना आवश्यक है। इस संदर्भ में चरक कहते हैं- सर्वरसाभ्यासो बलकराणाम् एकरसाभ्यासो दौर्बल्यकराणाम्…. भोजन में सभी रसों का सेवन सर्वोत्तम व बलकारी है तथा …

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