297 ऋषि प्रसाद सितम्बर 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

महाबलवान है मन, भगवान बताते हैं उसे जीतने का रहस्य


संत एकनाथ जी महाराज द्वारा विरचित सद्ग्रंथ ‘श्रीमद् एकनाथी भागवत’ (अध्याय 23) में एक महानतम रहस्य का उद्घाटन करने से पूर्व मन की चालबाजी का प्रतिपादन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी से कहते हैं- “मन ने सबको अपने वश में किया है किंतु मन किसी के वश में नहीं रहता। इन्द्रियों का स्वामी है मन …

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महापुरुषों का दृष्टिकोण


शरीर की सार्थकता एक दिन श्री रमण महर्षि के एक भक्त ने उन्हें आश्रमवासियों हेतु पत्तल बनाते हुए देखा। भक्त ने महर्षि से पूछाः “आप पत्तल बनाने का यह छोटा सा काम कर रहे हैं ! क्या यह समय का अपव्यय नहीं है ?” महर्षि बोलेः “बेटे ! ऊँचा उद्देश्य सामने रखकर उचित मार्ग से …

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नीच मनुष्यों का संग न करें !


साँईं श्री लीलाशाह जी की अमृतवाणी जैसे धुआँ सफेद मकान को भी काला कर देता है, वैसे ही कुसंगी मनुष्य अच्छे मनुष्य को भी बिगाड़ देता है। ‘सत्संग तारता है, कुसंग डुबोता है।’ यह सच ही है। भँवरी एक कीड़े को लाकर अपने घर में बंद कर देती है। थोड़े दिनों के पश्चात कीड़ा उसके …

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