297 ऋषि प्रसाद सितम्बर 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

कार्तिक मास के पुण्य-प्रभाव से गुणवती बनी भगवत्पत्नी


(कार्तिक मास व्रतः 5 अक्तूबर से 4 नवम्बर) कार्तिक मास की बड़ी महिमा है। पद्म पुराण (उ. खं. 120,23) में भगवान महादेव जी कार्तिकेय जी से कहते हैं- न कार्तिकसमो मासः…… ‘कार्तिक के समान कोई मास नहीं है।’ एक बार भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने श्रीकृष्ण से पूछाः “प्राणनाथ ! मैंने पूर्वजन्म में कौनसा …

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इसके बिना उन्नति हो ही नहीं सकती


संयम वह साधना है जिससे शक्तिरूपी सिद्धि सुलभ है। संयम शक्ति का कोष है। आत्मसंयम से ही सर्वत्र विजय मिलती है। जो मन-इन्द्रियों पर पूर्ण संयम रखता है, विद्वानों ने उसे ही विश्वविजयी वीर कहा है। जो सदगुरु एवं सत्शास्त्रों के आज्ञापालन में तत्पर है, उसी को अपने ऊपर अधिकार प्राप्त होता है। असंयमी व्यक्ति …

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इन्द्रियों से भी ब्रह्मरस पिला दें ऐसे माधुर्य-अवतार


पूज्य  बापू जी (शरद् पूर्णिमाः 5 अक्तूबर 2017) शरद् पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है। माना जाता है कि इस रात्रि को चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है। इससे चित्त को शांति मिलती है और पित्त का प्रकोप भी शांत होता है। मनुष्य को …

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