300 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संत संग से सधते हैं सब योग-पूज्य बापू जी


सत्पुरुषों का सान्निध्य बड़े भाग्य से मिलता है। कद्र करें न, तो तर जायें। कद्र तो करते हैं लेकिन फिर महापुरुषों से मनचाहा कराना चाहते हैं। मनचाहा नहीं कराना चाहिए, उनके अनुभव में, मार्गदर्शन में स्वयं चलने को तैयार होना चाहिए। मन तो अपने कोई कई जन्मों से भटका रहा है। उसके अनुसार हो तब …

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वैदिक धर्म की विलक्षणता


-स्वामी श्री अखंडानंद जी सरस्वती हाथ जोड़कर परमेश्वर को मानना ‘वह कहीं है’ और ‘कुछ है’ यह दूसरी चीज है। हमारे अपने भीतर परमेश्वर को मानना यह दूसरी चीज है। तो हम अपने भीतर परमेश्वर को क्यों नहीं देख पाते ? इसलिए कि दुकान से, व्यापार से, बाहर देखने से फुरसत ही नहीं है। रुचि …

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वात-दर्द मिटाने का उपाय-पूज्य बापू जी


किसी भी प्रकार के वातरोग के लिए यह उपाय आजमाया जा सकता हैः पहली उँगली (तर्जनी) हाथ के अँगूठे के ऊपरी सिरे पर रखो और तीन उँगलियाँ सीधी रखो। ऐसे ज्ञान मुद्रा करो। अब दायें नथुने से श्वास लिया और बायें से छोड़ा, फिर बायें से लिया और दायें से छोड़ा। तत्पश्चात बायँ नथुना बंद …

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