309 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2018

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

नित्य प्राप्त होने पर भी जो ज्ञात नहीं !


किसी भी वस्तु का वर्णन करो, ऐसा कहने पड़ेगा कि ‘मुझे ऐसा प्रतीत होता है।’ इसके अतिरिक्त और कोई भाषा नहीं है। सृष्टि का कारण, प्रलय का स्वरूप, ईश्वर, प्रकृति – किसी का भी वर्णन करो, कहना यही पड़ेगा कि ‘मुझे ऐसा प्रतीत होता है।’ बंधन भी प्रतीत होता है और मोक्ष भी। सुख भी …

Read More ..

ॐ पूज्य बापू जी का पावन संदेश


ऋग्वेद का वचन है, उसे पक्का करें- युष्माकम् अन्तरं बभूव। नीहारेण प्रावृता… ‘वह सृष्टिकर्ता आत्मदेव तुम्हारे भीतर ही है और अज्ञानरूपी कोहरे से ढका है।’ हे मनुष्यो ! अपना असली खजाना अपने पास है। जहाँ कोई दुःख नहीं, कोई शोक नहीं, कोई भय नहीं ऐसा खजाना तो अपने आत्मदेव में है। तुम (अज्ञानरूपी कोहरे को …

Read More ..

मोहरूपी दलदल से पार हो जाओ-पूज्य बापू जी


भगवान गीता (2.52) में कहते हैं- यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति। तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।। जब तुम्हारी बुद्धि मोहरूपी (अज्ञानरूपी) दलदल से भली प्रकार पार हो जायेगी तब तुम सुने हुए और सुनने में आने वाले इस लोक और परलोक संबंधी सभी भोगों से उपराम हो जाओगे और परम पद  में ठहर जाओगे। दलदल …

Read More ..