321 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

नादानों की नादानी और संत की करुणा


भक्त कोकिल साँईं वृंदावन में निवास करते थे । एक बार वे अयोध्या जा रहे थे तो एक सज्जन ने उन्हें बताया कि “कानपुर में मेरे एक मित्र रहते हैं । आप उनके घर अवश्य जाना । वे कानपुर के आगे आपको जहाँ भी जाना होगा वहाँ की हर व्यवस्था कर देंगे ।” इतना कहकर …

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इस सिंहासन पर भगवान को ही आसीन करो


एक सज्जन के पुत्र ने उनकी सम्मति के बिना विवाह कर लिया । वे बहुत दुःखी हुए । एक महात्मा के पास गये । महात्मा बोलेः “तुम अपने हृदय को क्यों बिगाड़ते हो ? जिस हृदय में भगवान को रहना चाहिए उसमें दूसरे को क्यों बिठाते हो ? तुम ही तो भूल करते हो ! …

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इन देवियों में से तुम कौन सी हो ?


श्रावस्ती के अनाथपिंडक नामक एक सेठ के पुत्र का विवाह साकेत के प्रसिद्ध सेठ धनंजय की पुत्री सुजाता के साथ हुआ था । सुजाता को बड़े कुल की बेटा होने का अभिमान था जो उसके व्यवहार में साफ झलकता था । ससुराल मं वह परिवार के सभी सदस्यों का अनादर करती थी । अनाथपिंडक सेठ …

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