ध्यान और जप हैं एक दूसरे के परिपोषक
(जप के बाद क्या करें ?) संतों एवं शास्त्रों ने ध्यानसहित भगवन्नाम-जप की महिमा गाकर संसार का बड़ा उपकार किया है क्योंकि सब लोग जप के साथ ध्यान नहीं करते । अतः ध्यान के बिना उन्हें विशेष लाभ भी नहीं होता । लोभी की भाँति भगवन्नाम अधिकाधिक जपना चाहिए और कामी की भाँति निरंतर स्वरूप …