335 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2020

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सुकन्या का सुकन्यापन


अज्ञातरूप से भी यदि संत का अपराध जाता है तो उससे दोष की उत्पत्ति होती है । राजा शर्याति अपनी कन्या सुकन्या को लेकर जंगल में गये हुए थे और वहाँ उनकी बेटी से अनजाने में एक संत का अपराध हो गया । एक बाँबी में च्यवन ऋषि तपस्या कर रहे थे । कुतूहलवश सुकन्या …

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सूरज और चंदा क्या नहीं देख सकते ? – पूज्य बापू जी


गुरुजी ने बच्चों से पूछाः “सूरज और चंदा क्या नहीं देख सकते ? सूरज और चंदा का प्रकाश सब जगह घुस जाता है । तो ऐसी कौन-सी चीज है जो सूरज और चंदा नहीं देख सकते ?” कुछ बच्चों ने कहाः “पाप को नहीं देख सकते ।” गुरु जीः “देख सकते हैं ! क्योंकि बुद्धि …

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यह बुद्धिमत्ता है-पूज्य बापू जी


जिस विद्या से तुम्हारे चित्त में विश्रांति नहीं, जिस विद्या से तुम्हें भीतर का रस नहीं आ रहा है वह विद्या नहीं है, वह बुद्धि नहीं है, वे सूचनाएँ हैं । बुद्धि तो वह है जिससे तुम्हारा हृदय इतना सुंदर-सुकोमल हो जाय कि दूसरों के सुख में तुम्हें सुख महसूस होने लगे, दूसरों के सुख …

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