ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

…ऐसों से नहीं ब्रह्मवेत्ता, महापुरुषों से ही मंगल होता है – पूज्य बापू जी


जो अपने को सुधारने से बचाना चाहता है वही जल्दी गुरु बनने का शौक रखता है । जो अपने को उपदेश देने से कतराता है वही उपदेशक बनने का शौक रखता है । अपने को उपदेश दो । दूसरों को उपदेश देने में, दूसरों को ठीक करने में मत लगो, अपने को ठीक करने में …

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पाँच प्रकार के गुरुभक्त – पूज्य बापू जी


गुरुभक्ति की महिमा गाते हुए भगवान शंकर माता पार्वती जी से कहते हैं- आकल्पजन्मकोटिनां यज्ञव्रततपः क्रियाः । ताः सर्वाः सफला देवि गुरुसन्तोषमात्रतः ।। ‘हे देवि ! कल्पपर्यंत के करोड़ों जन्मों के यज्ञ, व्रत, तप ओर शास्त्रोक्त क्रियाएँ – ये सब गुरुदेव के संतोषमात्र से सफल हो जाते हैं । (श्री गुरु गीता) आत्मवेत्ता सद्गुरुदेव के …

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अनेक में एक और एक में अनेक का साक्षात्कार – पूज्य बापू जी


एक खास बात है । जो अपने को एक व्यक्ति मानेगा, एक सिद्धान्त वाला मानेगा वह दूसरों से शत्रुता करे बिना नहीं रहेगा लेकिन जो सबमें बसा जो आत्मा-परमात्मा है उसके नाते सबको अपना मानेगा वह स्वयं सुखी और आनंदित रहेगा और दूसरों को भी करेगा  । ‘मैं यह (शरीर) हूँ और इतना मेरा है’ …

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