ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गुरुमुख जीवन ही जीवन है


जो गुरुमुखी जीवन जीते हैं, ब्रह्मवेत्ता संत-सद्गुरु के सिद्धान्त के अनुकूल अपना जीवन बनाते हैं, उनकी आज्ञा में चलते हैं उनको गुरुमुखता का क्या फल मिलता है और जो संत-सद्गुरु से विमुख व मनमुख हो के जीते हैं उनकी क्या गति होती है, जानते हैं इतिहास के कुछ दृष्टान्तों से । गुरुमुखता का फल बन …

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शिष्य का कर्तव्य क्या है ?


प्रश्नः गुरुदेव ! शिष्य का कर्तव्य क्या है ? पूज्य बापू जीः गुरुकृपा ही केवलं शिष्यस्य परं मङ्गलम् । तुम्हें जो अच्छा लगे वह तुम्हारा कर्तव्य नहीं है, गुरु की जो आज्ञा है, तुम्हारे परम हितैषी सद्गुरु को जो अच्छा लगे वही तुम्हारा कर्तव्य है बच्चे ! तुम्हें जो अच्छा लगा है वह सदियों से …

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‘यदि तू इस धर्मयुक्त युद्ध को नहीं करेगा तो पाप को प्राप्त होगा’


कई बार धार्मिक लोगों के जीवन में ऐसा अवसर आ जाता है जब वे अर्जुन की भाँति कर्तव्य का निर्णय करने में असमर्थ से हो जाते हैं । ऐसे में  वेद भगवान मार्ग दिखाते हैं- हे मनुष्य ! मनुष्यकृत बातों से हटता हुआ ईश्वरीय वचन को श्रेष्ठ मान के स्वीकार करता हुआ तू इन देवी …

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