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कुप्रचारकों, निंदकों की खुल गयी पोल


अमृत प्रजापति हुआ बेनकाब, अपने ही मुँह से उगले राज

पिछले कुछ दिनों से वैद्य अमृत प्रजापति विभिन्न  न्यूज चैनलों पर पूज्य बापू जी और आश्रम पर झूठे, बनावटी आरोप लगा रहा है जबकि हकीकत इस प्रकार हैः

आश्रम से निकाले गये वैद्य अमृत गुलाबचंद प्रजापति ने पहले मीडिया में आरोप लगाया था कि आश्रम में तंत्रविद्या होती है। 13-3-2010 को न्यायाधीश श्री डी.के.त्रिवेदी जाँच आयोग में हुई विशेष पूछताछ में उसने स्वीकार करते हुए कहा कि आश्रम में उसने तंत्रविद्या होते हुए देखा नहीं है। जब से उसने आश्रम छोड़ा, तब से ही तांत्रिक विधि की बात कहने लगा है।

8 अगस्त 2008 को एक फैक्स के माध्यम से पूज्य बापू जी को जान से मारने की धमकी दी गयी थी तथा बापू जी से 50 करोड़ रूपये की फिरौती मांगी गयी थी। एक सप्ताह में फिरौती न देने पर पूज्य बापू जी व नारायण साँईं को तंत्रविद्या के, जमीनों के, लड़कियों के तथा अन्य फर्जी केसों में फँसाने की धमकी दी गयी थी। इस फैक्स के संदर्भ में अमृत वैद्य ने स्वीकार किया कि “इस फैक्स में जो मोबाइल नम्बर और लैंडलाइन नम्बर लिखे हैं, वे मेरे ही हैं। इस फैक्स में जो नाम लिखे हैं – दिनेश भागचंदानी-अहमदाबाद, शेखर-दिल्ली, महेन्द्र चावला-पानीपत, राजू चांडक-साबरमती, शकील अहमद तथा के. पटेल – इनको मैं पहचानता हूँ।”

इस फैक्स के अनुसार फिरौती न मिलने पर पूर्व-योजना के अनुसार अमृत प्रजापति ने सप्ताहभर में ही एक बुरकेवाली औरत को मीडिया के सामने पेश कर बापू जी पर झूठे आरोप लगवाने का नीच कर्म किया था। इस बारे में जाँच आयोग में सवाल किये जाने पर उसने असलियल उगलते हुए कहाः “मैंने व मेरी पत्नी ने पत्रकारों को बापू के खिलाफ बयान दिये हैं। इस हेतु मैंने मेरी पत्नी को स्वयं अपने हाथों से बुरका पहनाया और पत्रकारों के सामने पेश किया। पत्रकारों के द्वारा उसका फोटो लिया गया। मेरी पत्नी दिल्ली की है, उसका नाम सरोज है।”

17-10-2008 को सूरत के संदेर पुलिस थाने में भी उसने उपरोक्त बात स्वीकार की थी। जबकि बुरकेवाली को मीडिया के समक्ष पेश करते समय कपटमूर्ति अमृत ने झूठ बोला था कि “यह पंजाब से आयी है व मैं इसे नहीं जानता हूँ।”

राजू चांडक ने स्टिंग ऑपरेशन में स्वीकार किया था कि 40 हजार रूपये, शराब की बोतलें एवं कुकर्म के लिए बाजारू लड़कियाँ देकर बापू पर आरोप लगाने के लिए उसने ठग सुखाराम को खरीदा था। इन तीनों की गोपनीय गोष्ठी के पाँच दिन बाद ही 26-8-2008 को ठग सुखाराम ने पूज्य बापू जी पर आरोप लगाये थे।

अमृत वैद्य को आश्रम से निकालते समय (दिनांक 9-2-2005) की एक वीडियो सीडी जाँच आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी। सीडी में अमृत वैद्य ने उसके द्वारा आश्रम के नियमों को भंग किये जाने की बात स्वयं ही कबूल की थी। अमृत वैद्य ने साधुताई के कपड़े उतारकर पैंट-शर्ट स्वयं अपने हाथों से स्वयं पहने थे। सीडी देखकर चकित हुए न्यायाधीश श्री डी.के. त्रिवेदी ने जब अमृत से पूछा कि “क्या यह तुम ही हो ?” तो अमृत ने लज्जित होते हुए गर्दन झुकाकर जवाब दियाः “हाँ साहब ! यह मैं ही हूँ।” अंत में सच का सामना करते हुए मजबूर, दुष्कर्मी अमृत ने स्वीकार कियाः “यह सीडी मैंने अभी देखी। मुझे आश्रम से निकाल दिया गया था यह हकीकत है, सत्य है।”

उल्लेखनीय है कि बड़ौदा में पी.एच.डी. कर रहा एर नवयुवक हरि कृष्ण ठक्कर अप्रैल 2009 में इस अमृत वैद्य की लापरवाही व गलत इलाज से मर गया बेचारा ! अमृत वैद्य आखिर विष वैद्य साबित हुआ ! अपनी नेप प्लेट पर बिना प्रमाणपत्र के ही ‘एम डी’ लिखकर लोगों ठगने वाले इस वैद्य ने पत्रकारों के समक्ष स्वयं माना कि उसने किसी भी विश्वविद्यालय से एम.डी. नहीं की है। अपने को चरक (प्रसिद्ध आयुर्वैदिक कम्पनी) का मान्यताप्राप्त कन्सलटैंट बताकर लोगों से पैसे ऐंठने वाले अमृत के बारे में चरक कम्पनी के प्रबंधक ने पत्रकारों को बताया कि अमृत प्रजापति को हम बहुत पहले ही निकाल चुके हैं। हमारी कम्पनी का उससे किसी प्रकार का कोई भी संबंध नहीं है।

अमृत प्रजापति कि अय्याश, लोभी और राक्षसी प्रवृत्ति खुलकर समाज के सामने आयी जब कोटा (राज.) में उसकी ऐसी करतूतों के लिए एफ आई आर दर्ज हुई। पवन कुमार करमचंदानी ने फरियाद में अमृत की नीच हरकतों का जिक्र किया है, जिसके अंतर्गत उसके द्वारा महिलाओं को बुरी नजर से देखने, उनके साथ छेड़ाछेड़ी करने की वारदातों का उल्लेख है।

जब उसे बापू जी तथा उनके द्वारा नियुक्त पदाधिकारी द्वारा ऐसे कृत्य करने से रोका गया तो वह कहने लगाः “बाबा को, आशाराम बापू को तो मजा चखा के रहूँगा।”

10-09-2008 को अमृत वैद्य गुजराती अखबार की प्रतियाँ लेकर पवन कुमार के घर आया और उसने पवन को बापू जी के लिए गंदे, झूठे आरोपों को उन अखबारों में छपवाने की बात बतायी। पवन के मना करने पर उससे 25000 रूपये माँगने लगा और न देने पर उनके लिए भी गलत खबर छपवाकर बदनाम करने की धमकी दी।

इससे परेशान होकर पवन कुमार ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवायी। धारा 295 ए, 499, 500, 501, 384, 296, 298 के तहत अमृत वैद्य को गिरफ्तार किया। दो दिन बाद वह जमानत पर छूटा और उस पर केस चल रहा है।

इस प्रकार महिलाओं के साथ छेड़छाड़, धोखाधड़ी, मरीजों की लूट, धमकी देना आदि कितने ही दुष्कर्म करने वाले अमृत वैद्य ने मौका पाकर अब नये मनगढ़ंत, अनगर्ल आरोप लगाने प्रारम्भ कर दिये हैं।

अमृत प्रजापति ने आरोप लगाया कि ‘बापू जी के पंचेड़ आश्रम (म.प्र.) में अफीम उगायी जाती है। उससे ‘पंचेड़ बूटी’ बनती है। यह गोली पहले मैं बनाता था, अब बापू की वैद्य बनाती है।’

इस आरोप की पोल खोलते हुए आश्रम की नीता वैद्य ने मीडिया को बताय कि ‘इस नाम की कोई औषधी आज तक हमारे आश्रम में बनी नहीं है, न हमने कभी बनायी है। यह अफीम या पंचेड़ बूटी की बात ही बिल्कुल कपोलकल्पित, मनगढंत है तो बापू जी के द्वारा उसके सेवन का तो कोई प्रश्न ही नहीं है। और जब अमृत प्रजापति ने स्वयं मीडिया में खुलेआम दावा किया है कि वे विधिवत अफीम की गोली बनाते हैं तो तत्काल उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।

आबकारी खाते के द्वारा पंचेड़ आश्रम की छानबीन की गयी और उन्होंने यह स्पष्ट कहा कि इस प्रकार की पंचेड़ बूटी अथवा अफीम की खेती हमें पंचेड़ आश्रम में नहीं मिली है। दूसरा, बापू जी की खून की सभी जाँचें पूर्णतः सामान्य हैं। तो क्या वर्षों से अफीम खाने वाले व्यक्ति के खून की जाँच सामान्य आ सकती है ?”

वास्तव में पूज्य बापू जी के सत्त्वबल से, सत्संग-सान्निध्य में आनेमात्र से लाखों-लाखों लोगों के व्यसन छूट गये इससे जो परेशान हैं, उन्हीं देशद्रोही तत्त्वों के मोहरे बन बैठे थे ये अमृत प्रजापति आदि अब ऐसे-ऐसे अनर्गल आरोप लगाने पर उतारू हो गये हैं।

अमृत वैद्य की बुद्धि का दिवालियापन

बिना ‘एम.डी.’ डिग्री के अपने नाम के आगे ‘एम.डी.’ लगवाने वाले अमृत वैद्य ने नया ही सिद्धान्त खोज निकाला कि व्यभिचार करने से 150 वर्ष की दीर्घायु प्राप्त होती है। इस सिद्धान्त का प्रचार करने के लिए वह कभी एक चैनल पर तो कभी दूसरे चैनल पर भागा-भागा फिरता दिख रहा है। ऐसी अनर्गल बातें ही उन्हें बकने वालों का चरित्र, उनकी अभिरूचि, उनकी मति का स्तर समाज के सामने खुला कर देती है।

पूज्य बापू जी स्वयं संयम का पालन करते हैं तथा अपने करोड़ों श्रोताओं एवं विद्यार्थियों को भी दृढ़ता से संयम का पालन करने की प्रेरणा देते हैं। ‘दिव्य-प्रेरणा-प्रकाश’ पुस्तक इसका ज्वलंत प्रमाण है। पूज्य श्री ने युवाधन सुरक्षा अभियान चलाया है। भारत के करोड़ों लोगों को संयम द्वारा ओज-तेज, आयु, स्वास्थ्य बढ़ाया है।

अधिक आयु की प्राप्ति के लिए भोग का अवलम्बन लिया जाता है – ऐसे अनर्गल सिद्धान्तों का प्रचार कर अमृत प्रजापति जैसा चरित्रहीन वैद्य भारत के लोगों को गुमराह ही तो कर रहा है !

आखिर धूर्त अमृत वैद्य का सच सामने आ ही गया। ऐसे कुप्रचारक सच्चाई सामने आने पर अब चौतरफा बरस रही लानत के पात्र बन रहे हैं। लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के अपराधी पर लोग कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं।

  • श्री अरविंद पटेल।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 6-8, अंक 250

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चालबाज महेन्द्र चावला और उसके आरोपों की हकीकत


झूठे मनगढ़ंत आरोप लगाने वाले महेन्द्र चावला की पोल उसके भाइयों ने ही खोल दी। उसके सगे भाइयों – श्री तिलक चावला, श्री देवेन्द्र चावला व श्री जितेन्द्र चावला से प्राप्त जानकारियाँ हैरान करने वाली हैं। उनका कहना था।

“महेन्द्र को 8वीं पास होने के बाद कुछ आदतें गलत हो गयी थीं। वह 9वीं व 10 वीं में फेल हो गया था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद हमने उसकी पढ़ाई के लिए पानीपत में अलग कमरे की व्यवस्था की। महेन्द्र चोरियाँ करता था। एक बार घर से 7 हजार रूपये लेकर भाग गया था। एक हफ्ते बाद वापस आने पर बोला कि ‘मेरा अपहरण हो गया था।’ बाद में उसने स्वीकार कर लिया था कि उसने झूठ बोल दिया था।

कुछ स्वार्थी असामाजिक तत्त्वों के बहकावे में आकर महेन्द्र कुछ-का-कुछ बकने लगा। इसे जरूर 10-15 लाख मिलें होंगे।

उसने यह भी बताया कि नारायण साँईं के बारे में उसने जो अनर्गल बातें बोली हैं, वे बिल्कुल झूठी व मनगढ़ंत हैं। हम साल में 2-3 बार अहमदाबाद आश्रम जाते हैं और लगातार महीनेभर भी वहाँ रह चुके हैं लेकिन कभी ऐसा कुछ नहीं देखा-सुना। अभी जो लड़की उसके साथ है (अविन वर्मा) वह पहले क्यों नहीं बोली ? उसी समय निकलकर बोलती कि हमारे साथ ऐसा-ऐसा हुआ है।

महेन्द्र इससे पहले कभी हमें कुछ क्यों नहीं बोला ? अभी एकदम क्यों ऐसा बोलना शुरु कर दिया ? वह सरासर झूठ बोल रहा है।”

श्री तिलक चावला ने यह भी बताया कि “महेन्द्र के खिलाफ एफ आई आर भी दर्ज हुई थी क्योंकि यह किसी से सामान लेकर आया था, उसके पैसे नहीं दिये थे, बड़ी मुश्किल से हम लोगों ने समझौता करवाया। एक बार तो महेन्द्र ने एक व्यक्ति की पीठ में स्टेपलर मार दिया, उसको पटक कर मारा, जिस कारण उसे टाँके भी लगे। लेकिन उन लोगों ने हमारी वजह से इसको छोड़ दिया।

आश्रमवाले क्यों किसी को मारने की धमकी देंगे ? महेन्द्र के साथ चार-पाँच लोगों की गैंग है। दूसरों की आवाज  निकाल के ‘मैं नारायण साँईं बोल रहा हूँ, मैं फलाना बोल रहा हूँ…. मैं यह कर दूँगा, मैं वह कर दूँगा।’ ये सब लोग मिलकर पता नहीं क्या-क्या साजिश कर रहे हैं ! हमें तो यह डर है कि यह जिन लोगों के साथ मिला हुआ है वे इसे मरवा ही न दें ?”

चालबाज महेन्द्र चावला ने स्वयं  लगाये हुए झूठे आरोपों की पोल खोलते हुए  न्यायाधीश श्री डी. के. त्रिवेदी जाँच आयोग के समक्ष कहा था कि ‘मैंने अहमदाबाद आश्रम में कोई तंत्रविद्या होते हुए देखा नहीं।” उसने यह भी स्वीकारा कि “यह बात सत्य है कि कम्पयूटर द्वारा किसी भी नाम का, किसी भी प्रकार का, किसी भी संस्था का तथा किसी भी साइज का लेटर हेड तैयार हो सकता है। बनावटी हस्ताक्षर किये गये हों, ऐसा मैं जानता हूँ।”

अब ये महेन्द्र चावला और अमृत वैद्य मीडिया में आकर चरित्रहनन आदि के मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं। इनकी वास्तविकता जानने के बाद अब पाठक स्वयं ही निर्णय करें ऐसे लोगों से किसी प्रकार के सच की उम्मीद क्या की जा सकती है  ?

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 9, अंक 250

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बिके हुए चैनलों को घर से निकाल देना चाहिए


श्री अभय वर्तक, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन सस्था

पूज्य बापू जी के ऊपर जो सरासर झूठे आरोप लगाये गये हैं इससे हरेक हिन्दू के मन में पीड़ा हुई है।

हरेक हिन्दू जानता है कि ये जो षड्यन्त्र रचा गया है, इसके पीछे एक अंतर्राष्ट्रीय शक्ति है, जो इस षड्यन्त्र को नियन्त्रित कर रही है और दुर्भाग्य से हमारे देश के ही कुछ नागरिक चाहे वे मीडिया में हों, चाहे सत्ता में हों उस षड्यन्त्र का एक भाग बन चुके हैं। बापू जी जैसे  संत लोगों की भलाई करते हैं लेकिन सरकार तो उनके चरणों के नीचे काँटे बिछा रही है। हिनदू समाज को इकट्ठा होते देख उनसे सहा नहीं जा रहा है।

हमारे परम पूज्य बापू जी निर्दोष होते हुए भी उनके ऊपर अन्याय किया जा रहा है, वह भी इस राष्ट्र में जहाँ लोकतन्त्र है। सच्चाई सामने लाना जिस पत्रकारिता का प्रथम कर्तव्य है, उन्हीं में से कुछ बिके हुए लोग सच्चाई छुपाकर गलत  बातें लोगों के मन में संस्कारित कर रहे हैं।

जो चैनल हमारे पूजनीय बापू जी के ऊपर कीचड़ उछालते हैं, उन बिके हुए चैनलों को पहले घर से निकाल देना चाहिए। पूज्य बापू जी और हिन्दू धर्म पर झूठे आरोप लगाने वाले चैनलों और पत्रिकाओं का हम सब बहिष्कार करते हैं, उन्हें धिक्कारते हैं !

एक दूसरी स्वतंत्रता की लड़ाई शुरु हो गयी है। सरकार को मालूम है कि ‘अरे, बापू जी पर हम कीचड़ उछाल रहे थे, इतने सारे संत इकट्ठे हो गये ! अब क्या करेंगे ?’ इसलिए सरकार ने रणनीति बनायी है और उनका पहला पत्थर महाराष्ट्र से रखा गया है। महाराष्ट्र में ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून पारित हो गया है। पूरे हिन्दू धर्म व हिन्दू समाज के संतों का विध्वंस करने वाला यह कानून है। मैं सभी संतगणों से यह प्रार्थना करूँगा कि इस ‘पत्थर’ को उसी महाराष्ट्र की जमीन में दबा देना चाहिए।

हमें इस राष्ट्र को हिन्दू राष्ट्र बनाना होगा। जिसमें सरकार वेदपाठशाला चलायेगी, जिसमें सरकार हरेक स्कूल में ‘ऋषि प्रसाद’ को पढ़ायेगी और उसी राष्ट्र में संतों के मार्गदर्शन के अनुसार वहाँ के राज्यकर्ता राज्य करेंगे। ऐसा हिन्दू राष्ट्र बनाने का संकल्प हम करेंगे। फिर कोई हिम्मत नहीं करेगा कि पूज्य बापू जी के ऊपर कीचड़ उछाले।

बापू आशारामजी के ऊपर षड्यन्त्र रचना बहुत निंदनीय है

संत श्री बाबा देविन्दरसिंहजी, अध्यक्ष, आश्रम निर्मल कुटिया

बापू आशारामजी जैसे महात्मा जो लाखों लड़कियों की इज्जत बचाने के लिए नित्य परिश्रम करते हैं, उनके ऊपर यह षड्यन्त्र रचना बहुत निंदनीय है। जिधर-जिधर से आशारामजी जाते हैं उधर-उधर धर्म का रास्ता बनता है व बनेगा। वह भी समाँ आयेगा जब ऐसे संगत फिर बैठेगी और बापू जी ज्ञान का दान करेंगे, वह दिन दूर नहीं।

पूज्य बापू जी निर्दोष हैं

श्री रमेश शिंदे जी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

पूज्य बापू जी निर्दोष हैं। बापू जी ने ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश’ पुस्तक करोड़ों की संख्या में बाँटी है। जिसमें व्यभिचार होता था उस ‘वेलेंटाइन डे’ को बदलकर बापू जी ने ‘मातृ-पितृ पूजन दिन’ बनाया है। जो गलत राह पर जाते थे उन युवाओं को सही मार्ग पर लाने वाले बापू जी हैं और उनके ऊपर ये कैसे आरोप लगाते हैं !

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 12, अंक 250

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