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गाय की बहुउपयोगिता


गाय मानव-जीवन के लिए बहुत ही हितकारी है। शास्त्रों में गाय को माता कहा गया है। गाय की बहुउपयोगिता अब वैज्ञानिकों ने भी विभिन्न प्रयोगों द्वारा सिद्ध की है।

गाय का दूध

वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 प्रकार के एमिनो एसिड, 11 प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, 25 प्रकार के खनिज तत्त्व, 16 प्रकार के नाइट्रोजन यौगिक, 4 प्रकार के फास्फोरस यौगिक, 2 प्रकार की शर्करा, इसके अलावा मुख्य खनिज सोना, ताँबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन, फ्लोरिन, सिलिकॉन आदि भी पाये जाते हैं।

इन सब तत्त्वों के विद्यमान होने से गाय का दूध एक उत्कृष्ट प्रकार का रसायन (टॉनिक) है, जो शरीर में पहुँचकर रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य को समुचित मात्रा में बढ़ाता है। यह पित्तशामक, बुद्धिवर्धक और सात्त्विकता को बढ़ाने वाला है। विभिन्न वैज्ञानिकों ने खोजों के आधार पर अपने मत प्रस्तुत किये हैं।

गाय का दूध ही एकमात्र ऐसा पदार्थ है जो सब पौष्टिक द्रव्यों से परिपूर्ण है, जिसे हम सम्पूर्ण भोजन कह सकते हैं।

  • प्रो. एम जे रोसेनो (हार्वर्ड चिकित्सा विद्यालय)

गोदुग्ध माता के दूध के बाद सबसे अधिक उपयोगी है। – विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.)

हृदयरोगियों के लिए गाय का दूध विशेष रूप से उपयोगी है। – डॉं. शान्तिलाल शाह।

गोदुग्ध में विद्यमान सेरिब्रोसाइडस मस्तिष्क और स्मरणशक्ति के विकास में सहायक होता है। तथा स्ट्रॉन्शियम अणु विकिरणों का प्रतिरोधक भी होता है। साथ ही एम.डी.जी.आई. प्रोटीन के कारण रक्त कोशिकाओं में कैंसर प्रवेश नहीं कर सकता। – पशुविज्ञान विशेषज्ञ प्रो. रोनाल्ड गोरायटे। (कारनेल विश्वविद्यालय)

यदि गाय कोई विषैला पदार्थ खा जाती है तो उसका प्रभाव उसके दूध में नहीं आता। गाय के शरीर में सामान्य विषों को पचाने की अदभुत क्षमता है। – डॉ. पीपल्स।

गाय के दूध में बुद्धि में प्रखरता लाने का विशेष गुण है। मैंने इसका प्रयोग छोटे बच्चों पर करके देखा। जिन बच्चों को गाय का दूध पिलाना आरम्भ किया, उन बच्चों की प्रतिभा एवं मेधाशक्ति का विकास स्पष्ट दिखायी दिया और जिन बच्चों को भैंस का दूध पिलाना प्रारम्भ किया वे बच्चे मंदबुद्धि एवं आलसी होने लगे। – प्रो. जे.एल.सहस्रबुद्धे। (कृषि महाविद्यालय, पुणे)।

गोदुग्ध में शरीर में पहुँचे रेडियोधर्मी विकिरणों का प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता है। – प्रसिद्ध वैज्ञानिक शिरोविच (रूस)।

गाय के दूध की मलाई पूर्ण सुपाच्य और मानव-शरीर के अनुकूल है, जो तुरंत पचकर शक्ति उत्पन्न करती है। – डॉ. एन.एन. गोडवेल।

जर्सी नस्ल की गाय का दूध पीने से कैंसर बढ़ने की 30 प्रतिशत संभावना है। – राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (अमेरिका)।

अतः जर्सी गाय के दूध से सावधान ! देशी गाय के दूध की ही महिमा है। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (अमेरिका) के अनुसार जर्सी गाय का दूध कैंसर करता है। जर्सी गाय के दूध, दही, घी से परहेज करें।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2012, पृष्ठ संख्या 10, अंक 232

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गौ-रसः महत्ता एवं लाभ


आयुर्वेद के अनुसार गाय से प्राप्त सभी वस्तुएं मनुष्य का कल्याण करने वाली हैं । गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास बताया गया है तथा गोमूत्र गंगाजल के समान पवित्र माना गया है । गाय मानव-जाति के लिए प्रकृति का अनुपम वरदान है । गाय का दूध, दही, घी, मक्खन व छाछ अमृत का भण्डार है । इसी कारण कृतज्ञतावश भारतवर्ष में गौमाता की घर-घर पूजा होती रही है । गाय अपने गोबर और मूत्र से धरती को उपजाऊ बनाती है, जल और वायु का शोधन करती है । गाय ही एकमात्र ऐसा दिव्य प्राणी है जिसकी रीढ़ की ह़ड्डी में ‘सूर्यकेतु’ नाड़ी है । अन्य प्राणी व मनुष्य जिनको नहीं ग्रहण कर सकते उन सूर्य की गौकिरणों को सूर्यकेतु नाड़ी ग्रहण करती है । इसलिए गाय सूर्य के प्रकाश में रहना पसंद करती है । इस नाड़ी के क्रियाशील होने पर वह पीले रंग का एक पदार्थ छोड़ती है, जिसे ‘स्वर्णक्षार’ कहते हैं । इसी के कारण देशी गाय का दूध, मक्खन व घी स्वर्ण-कांतियुक्त होता है ।

दूधः गाय का दूध तो धरती का अमृत है । प्राकृतिक चिकित्सा में गाय के ताजे दूध की बहुत प्रशंसा की गयी है तथा  इसे सम्पूर्ण आहार कहा गया है । आचार्य सुश्रुत  गौदूग्ध को जीवनोपयोगी तथा आचार्य चरक ने इसे सर्वश्रेष्ठ रसायन कहा है क्योंकि गौदुग्ध ही एक ऐसा भोजन है, जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, दुग्धशर्करा, खनिज लवण, वसा आदि मनुष्य शरीर के सभी पोषक तत्त्व भरपूर पाय जाते है । गाय का दूध रसायन का कार्य करता है । यह अन्य प्राणियों के दूध की अपेक्षा हलका और तुरंत शक्तिवर्धक है । यह शरीर की गर्मी का नियंत्रक, रसों का आश्रय, पाचनाग्निवर्धक, श्रम को हरने वाला, क्षय एवं कैन्सर के विषाणुओं का नाशक तथा शरीर में उत्पन्न विष का शामक है । प्रातः गाय का धारोष्ण दूध पीना बहुत ही शक्तिवर्धक होता है । इसमें घी मिलाकर पीने से मेधाशक्ति बढ़ती है । गाय के दूध और घी से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता बल्कि रक्त की धमनियों में उत्पन्न अवरोध का निवारण होता है । देशी गायों का दूध ही हितकर है, जर्सी, होल्सटीन या उनकी संकर प्रजातियों का नहीं । डेयरी की प्रक्रिया से भी दूध का सात्त्विक प्रभाव नष्ट होता है ।

यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चों का शरीर सुंदर एवं सुगठित हो, उनके वज़न एवं कद में खूब वृद्धि हो, वे मेधावी और प्रचंड बुद्धि-शक्तिवाले व विद्वान बनें तो उन्हें नियमितरूप से देशी गाय का दूध व मक्खन खिलायें-पिलायें । सभी को कम-से-कम 275 ग्राम दूध प्रतिदिन पीना चाहिए । गौदुग्ध में एक चम्मच गाय का घी मिलाकर पीने से शरीर पुष्ट होता है । गर्म दूध पीने से कफ का नाश तथा ठंडा करके पीने से पित्त का नाश होता है । दूध शरीर की जलन को समाप्त करके अन्न-पाचन में सहायता करता है । फलों के साथ दूध नहीं लेना चाहिए । शिशु से वृद्ध तक सभी उम्र के लोगों के लिए गौदुग्ध का सेवन हितकर है ।

काली गाय का दूध त्रिदोषनाशक तथा सर्वोत्तम है । रूसी वैज्ञानिक शिरोविच ने कहा हैः ‘गाय के दूध में रेडियो विकिरण (एटॉमिक रेडियेशन) से रक्षा करने की सर्वाधिक शक्ति होती है ।’

शरीर को स्वस्थ बनाकर नवजीवन प्रदान करने के लिए ‘दुग्धकल्प’ किया जाता है । इसमें केवल दूध पर रहा जाता है । इससे जिगर, तिल्ली, गुर्दे  आदि सही काम करने लगते हैं । विदेशों में गौदुग्ध की डेयरी का विकास हुआ है परंतु हमारे यहाँ गायें बेचकर भैंसें खरीदी जा रही हैं, जिनका दूध पीकर नयी पीढ़ी आलसी और मंद बुद्धिवाली होती जा रही है ।

रामसुखदास जी महाराज ने कहा थाः ‘गाय को इंजेक्शन लगाकर दूध निकालना उसकी हत्या के समान है एवं वह दूध खून के समान होता है, जिसे पीने से मनुष्य की बुद्धि खराब हो जाती है ।’ और आज हमारे देख में वही किया जा रहा है । सरकार को ऐसे इंजेक्शन पर पाबंदी लगानी चाहिए ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2009, पृष्ठ संख्या 23,24 अंक 203

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