गौ-रसः महत्ता एवं लाभ

गौ-रसः महत्ता एवं लाभ


आयुर्वेद के अनुसार गाय से प्राप्त सभी वस्तुएं मनुष्य का कल्याण करने वाली हैं । गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास बताया गया है तथा गोमूत्र गंगाजल के समान पवित्र माना गया है । गाय मानव-जाति के लिए प्रकृति का अनुपम वरदान है । गाय का दूध, दही, घी, मक्खन व छाछ अमृत का भण्डार है । इसी कारण कृतज्ञतावश भारतवर्ष में गौमाता की घर-घर पूजा होती रही है । गाय अपने गोबर और मूत्र से धरती को उपजाऊ बनाती है, जल और वायु का शोधन करती है । गाय ही एकमात्र ऐसा दिव्य प्राणी है जिसकी रीढ़ की ह़ड्डी में ‘सूर्यकेतु’ नाड़ी है । अन्य प्राणी व मनुष्य जिनको नहीं ग्रहण कर सकते उन सूर्य की गौकिरणों को सूर्यकेतु नाड़ी ग्रहण करती है । इसलिए गाय सूर्य के प्रकाश में रहना पसंद करती है । इस नाड़ी के क्रियाशील होने पर वह पीले रंग का एक पदार्थ छोड़ती है, जिसे ‘स्वर्णक्षार’ कहते हैं । इसी के कारण देशी गाय का दूध, मक्खन व घी स्वर्ण-कांतियुक्त होता है ।

दूधः गाय का दूध तो धरती का अमृत है । प्राकृतिक चिकित्सा में गाय के ताजे दूध की बहुत प्रशंसा की गयी है तथा  इसे सम्पूर्ण आहार कहा गया है । आचार्य सुश्रुत  गौदूग्ध को जीवनोपयोगी तथा आचार्य चरक ने इसे सर्वश्रेष्ठ रसायन कहा है क्योंकि गौदुग्ध ही एक ऐसा भोजन है, जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, दुग्धशर्करा, खनिज लवण, वसा आदि मनुष्य शरीर के सभी पोषक तत्त्व भरपूर पाय जाते है । गाय का दूध रसायन का कार्य करता है । यह अन्य प्राणियों के दूध की अपेक्षा हलका और तुरंत शक्तिवर्धक है । यह शरीर की गर्मी का नियंत्रक, रसों का आश्रय, पाचनाग्निवर्धक, श्रम को हरने वाला, क्षय एवं कैन्सर के विषाणुओं का नाशक तथा शरीर में उत्पन्न विष का शामक है । प्रातः गाय का धारोष्ण दूध पीना बहुत ही शक्तिवर्धक होता है । इसमें घी मिलाकर पीने से मेधाशक्ति बढ़ती है । गाय के दूध और घी से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता बल्कि रक्त की धमनियों में उत्पन्न अवरोध का निवारण होता है । देशी गायों का दूध ही हितकर है, जर्सी, होल्सटीन या उनकी संकर प्रजातियों का नहीं । डेयरी की प्रक्रिया से भी दूध का सात्त्विक प्रभाव नष्ट होता है ।

यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चों का शरीर सुंदर एवं सुगठित हो, उनके वज़न एवं कद में खूब वृद्धि हो, वे मेधावी और प्रचंड बुद्धि-शक्तिवाले व विद्वान बनें तो उन्हें नियमितरूप से देशी गाय का दूध व मक्खन खिलायें-पिलायें । सभी को कम-से-कम 275 ग्राम दूध प्रतिदिन पीना चाहिए । गौदुग्ध में एक चम्मच गाय का घी मिलाकर पीने से शरीर पुष्ट होता है । गर्म दूध पीने से कफ का नाश तथा ठंडा करके पीने से पित्त का नाश होता है । दूध शरीर की जलन को समाप्त करके अन्न-पाचन में सहायता करता है । फलों के साथ दूध नहीं लेना चाहिए । शिशु से वृद्ध तक सभी उम्र के लोगों के लिए गौदुग्ध का सेवन हितकर है ।

काली गाय का दूध त्रिदोषनाशक तथा सर्वोत्तम है । रूसी वैज्ञानिक शिरोविच ने कहा हैः ‘गाय के दूध में रेडियो विकिरण (एटॉमिक रेडियेशन) से रक्षा करने की सर्वाधिक शक्ति होती है ।’

शरीर को स्वस्थ बनाकर नवजीवन प्रदान करने के लिए ‘दुग्धकल्प’ किया जाता है । इसमें केवल दूध पर रहा जाता है । इससे जिगर, तिल्ली, गुर्दे  आदि सही काम करने लगते हैं । विदेशों में गौदुग्ध की डेयरी का विकास हुआ है परंतु हमारे यहाँ गायें बेचकर भैंसें खरीदी जा रही हैं, जिनका दूध पीकर नयी पीढ़ी आलसी और मंद बुद्धिवाली होती जा रही है ।

रामसुखदास जी महाराज ने कहा थाः ‘गाय को इंजेक्शन लगाकर दूध निकालना उसकी हत्या के समान है एवं वह दूध खून के समान होता है, जिसे पीने से मनुष्य की बुद्धि खराब हो जाती है ।’ और आज हमारे देख में वही किया जा रहा है । सरकार को ऐसे इंजेक्शन पर पाबंदी लगानी चाहिए ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2009, पृष्ठ संख्या 23,24 अंक 203

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