सुबह नींद से उठो तो थोड़ी देर शांत हो जाओ । नींद में से उठते हैं तो वैसे ही शांति रहती है । उसके बाद चिंतन करो कि ‘जो सत्, चित् है, आनंदस्वरूप है और मेरे हृदय में फुरफुरा रहा है, जो सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार का कारण है और मेरे शरीर की उत्पत्ति, स्थिति और लय का कारण है, उस सच्चिदानंद का मैं हूँ और वह मेरा है । ॐ शांति… ॐ आनंद… इस प्रकार तुम नींद में से उठ के लेटे-लेटे अथवा बैठ के शांत रहोगे तो मैं कहता हूं कि दो दिन की तपस्या से वह 2 मिनट की विश्रांति ज्यादा फायदा करेगी, पक्की बात है ! ऐसे ही रात्रि को सोते समय दिन में जो कुछ अच्छे भले काम हुए हों उनका फल ईश्वर को सौंप दो और गलती हो गयी हो तो कातर भाव से प्रार्थना कर लो । फिर लेट गये और श्वास अंदर जाय तो ॐ, बाहर आय तो 1… श्वास अंदर जाय तो शांति, बाहर आये तो 2… इस प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करते-करते सो जायें । इस प्रकार सोने से रात की निद्रा कुछ सप्ताह में योगनिद्रा बनने लगेगी । यह साधना दुःख निवृत्ति, परमात्मप्राप्ति में बड़ी सहायक है । ऐसी सुंदर और सरल साधना सभी जातियों का, सभी लोगों का जल्दी कल्याण करेगी ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2022, पृष्ठ संख्या 23 अंक 352
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