गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत् । वर्तमानने कालेन
प्रवर्तन्ते विचक्षणाः ।
‘बीती हुई बात का शोक नहीं करना चाहिए और न ही भविष्य की
चिंता करनी चाहिए । बुद्धिमान लोग वर्तमान काल के अनुसार कार्य
करने में प्रवृत्त होते हैं, जुट जाते हैं ।’
समझदार लोग वर्तमान काल में रहते हैं, यही तो सुखमय जीवन
का रहस्य है ! आप अपना वर्तमान बिल्कुल ठीक रखें । यदि आपका
वर्तमान बिल्कुल ठीक है तो आपका भूत और भविष्य भी एक दम ठीक-
ठाक है । वर्तमान ही भूत बनता है । भूत माने विगत – बीता हुआ ।
इस समय जो वर्तमान क्षण है वही तो आने वाले क्षण का विगत हो
जायेगा । ध्यान में आया ? इस प्रकार यदि आपका वर्तमान क्षण बढ़िया
बीतेगा तो बढ़िया-बढ़िया की एक कतार लग जायेगी । यदि आप
आगामी क्षण की ओर देखोगे तो भी बढ़िया-बढ़िया-बढ़िया की पंक्ति लग
जायेगी । आगे आऩे वाले क्षण को दूसरा कोई रास्ता नहीं है । भावी
क्षण का क्या रास्ता है ? जब भविष्य आयेगा तो वर्तमान होकर ही तो
आयेगा ! अतः आपके वर्तमान में जो शर्करा (मिठास) है वह आने वाले
भविष्य पर बिल्कुल लिपट जायेगी, आपका भविष्य मीठा हो जायेगा ।
कुनैन की गोली भी आपके लिए शक्कर बन जायेगी । यदि आपका
वर्तमान चिंतन बिल्कुल सुखमय है तो भूत और भविष्य में दुःख देने का
सामर्थ्य ही नहीं रहेगा । यदि आपका वर्तमान बिल्कुल संतोषजनक है,
यदि इस समय आपके मन में अपने बारे कोई ग्लानि नहीं है कि ‘पहले
मैंने ऐसा क्यों किया ? ऐसा क्यों नहीं किया ?…’ और यदि इस समय
आपके हृदय में कोई वासना नहीं है कि ‘आगे हमको क्या-क्या मिले…
क्या-क्या नहीं मिले…’ तो आप विश्वास करो कि आपका समस्त
जीवनकाल अत्यंत सुख-शांति से व्यतीत होगा ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2023, पृष्ठ संख्या 2 अंक 364
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