मोहम्मद इरफान सलमानी, सदस्य राष्ट्रीय मुस्लिम मंच
सूफी संत, महात्मा जो हैं सारे हमारे बुजुर्ग हैं। इनसे हमें सीखने को मिलता है, ये हमारे मार्गदर्शक है। अगर इनके बारे में कोई अखबार हलकी धारणाएँ रखता है, कोई कुछ लिख देता है या कोई छाप देता है तो यह गलत बात है ही। जैसे हमारे पिता हैं, हम अपने पिता के बारे में घिसा-पिटा नहीं सुन सकते हैं तो गुरु तो हमारे पिता के भी पिता होते हैं।
सूफी संत अल्लाह का नूर हैं, बापू ऐसे ही सूफी हैं। ऐसे सूफी के बारे में कोई खराब बोलता है तो हमें तकलीफ होती है।
बापू जी के बारे में तो शायद बच्चा-बच्चा जानता है। बापू जी के आश्रम में लोगों की आँखें खुलती हैं। जहाँ तक मैं अपने समाज के बारे में जानता हूँ, मेरे से ज्यादा बापू जी मेरे समाज के बारे में जानते हैं। मैं उनको चैनल पर देखता हूँ और कई प्रोग्राम उनके अटेंड भी करे हैं मैंने। तो उनके सत्संग में आने के बाद दिल के अंदर एक नयी-सी खुशी जागती है। बापू जी ने कभी किसी का बुरा तो करा नहीं है सिवाय अच्छा के। वे यही चाहते हैं कि हर परिवार सुखी रहे, परिवार में शांति रहे और वे यही रास्ता दिखाते हैं। तो यही इन कुछ लोगों को पसंद नहीं है।
बापू जी के बारे में ये जो अपशब्द कहे जा रहे हैं, ये जो विकल्प दिये जा रहे हैं ये सब झूठ हैं। मैंने कई परिवार देखे हैं जो बापू जी के प्रवचनों से सुख शांति का जीवन व्यतीत कर रहे हैं – उनकी सिर्फ एक वाणी से। वे एक बार जो बात बोल देते हैं उसे पूरा परिवार एक्सेप्ट (स्वीकार) कर लेता है और सही रास्ते पर चलने लगता है। यह इन लोगों (कुप्रचारकों) को पसंद नहीं। बापू कहते हैं नशा मत करो। नशा बेचने वालों को बुरा लगेगा। बापू कहते हैं बुरी आदतें छोड़ दो। बुरी आदतें सिखाने वालों को बुरा लगेगा। तो बापू सिर्फ सीधा रास्ता दिखाते हैं, अक्सर लोग मिलते हैं टेढ़े रास्ते दिखाने वाले। ऐसे लोग ही बापू का कुप्रचार कर रहे हैं।
मौलवी हातीफ कासिम, रोहिणी-दिल्ली मस्जिद के इमामः सूफी संत का काम है सिर्फ सच्चाई दिखाना, अच्छा रास्ता बताना। इसलिए हमारे सूफी बापू आसारामजी भी हैं। उनको कोई समझने वाला चाहिए। उनके अंदर की भावना जो नहीं समझेगा वह उनको क्या समझेगा ! अरे, वह तो बहुत बदनसीब है इन्सान, जिसने बापू के लिए अनर्गल छापा है। अगर सच्चाई पता चलती तो कदमों पर गिर जाता वह ! उसकी किस्मत में ही नहीं है उनके कदमों पर गिरना, पहुँच क्या जायेगा ! उसने जो भी किया है बहुत ही बुरा किया है। ‘संदेश’ अखबार को बंद कर दिया जाय, बरखास्त कर दिया जाय।
बापू पर इल्जाम सभी सूफी फकीरों की तौहीन है और यह इल्जाम नाजायज है।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2010, पृष्ठ संख्या 11
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