मुझे तो गुरुदेव ने बचाया

मुझे तो गुरुदेव ने बचाया


मेरठ में पूज्य बापू जी का सत्संग होने वाला था। सत्संग के फलैक्स लगाने के लिए मैं खम्भे पर चढ़ा। जिस तार से फलैक्स बाँध रहा था, वह तार बिजली के तार (जिसमें 11000 वोल्ट का करंट था) से अनजाने में छू गया। खूब स्पार्किंग हुई। मैं खम्भे से चिपक गया, मेरे पूरे कपड़े जल गये। मुझे लगा कि अब मैं नहीं बचूँगा। मन-ही-मन मैं बापू जी से कातरभाव से प्रार्थना की। उसी समय नीचे लगे ट्रांसफार्मर में जोर का विस्फोट हुआ और मैं लगभग 20 फुट ऊपर से गिरकर बेहोश हो गया। नीचे खड़े गुरुभाइयों ने बताया कि ʹकरंट ने पहले तुमको ऊपर की ओर फेंका था, फिर तुम नीचे गिरे थे।ʹ गिरने के बाद मैंने महसूस किया जैसे मेरा सूक्ष्म शरीर आकाश में सूखे पत्ते की तरह लहरा रहा है और स्थूल शरीर निर्जीव पड़ा है। पर कुछ समय जब होश आया तो देखा कि शरीर बुरी तरह जलकर घावग्रस्त हो गया है। मुझे अस्पताल पहुँचाया गया।

डॉक्टरों ने कह दिया था कि एक हाथ बेकार हो चुका है। इतने गहरे घाव, इतनी चोटें, जोरदार बिजली का झटका… किंतु पूज्य गुरुदेव की कृपा से मैं एक माह में पूर्णतः स्वस्थ हो गया। सत्संग में जो सुना था कि शिष्य जब सदगुरु से दीक्षा लेता है तब से गुरु उसके साथ होते हैं, उसके रक्षक होते हैं, वह व्यवहार में अनुभव भी कर लिया। सेवा के कारण मेरा तरतीव्र प्रारब्ध कट गया। नवजीवन देने वाले ऐसे सर्वसमर्थ सदगुरुदेव को अनंत बार प्रणाम ! मैं उऩका आजीवन ऋणी रहूँगा। जिनकी सेवा के कारण नवजीवन मिला, सारा जीवन उन्हीं की सेवा में लगाऊँगा।

शिवशंकर रघुवंशी, भवानीपटना (ओड़िशा) मो. 9777595866

स्रोतः ऋषि प्रसाद, फरवरी 2013, पृष्ठ संख्या 30, अंक 242

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