सुप्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी
सुप्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पूज्य बापू जी के खिलाफ हुई अंतर्राष्ट्रीय साजिश का खुलासा करते हुए कहा कि “विदेश से आये हुए धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों का आशाराम जी बापू ने डटकर मुकाबला किया। गुजरात और अन्य क्षेत्रों में लालच देकर धर्म-परिवर्तन करने के प्रयास को विफल किया। इससे वेटिकन में नाराजगी आयी। उसके बाद किसी तरीके से बापू जी को बदनाम करने के लिए प्रयास चला।” सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह बात औरंगाबाद में हुए एक सम्मेलन के दौरान कही।
पूज्य बापू जी को ऐसे षड्यंत्र में फँसाने के लिए बहुत पहले से और बड़े स्तर पर कोशिशें की जा रही थीं। इस संदर्भ में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहाः “मैंने बापू जी को एक बार जब हवाई जहाज में साथ आ रहे थे तब बताया कि सत्ता (तत्कालीन सत्ताधारी सरकार) में जो लोग हैं, वे उनसे चिढ़े हुए हैं और कुछ भी कर सकते हैं। आखिर में वही हुआ जिसका मैं संदेह कर रहा था।”
सुब्रह्मण्यम स्वामी इस बोगस केस की एक-एक पर्त खोलते हुए बोलेः “मैंने केस को पढ़ा। देखा कि लड़की ने जोधपुर के पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज नहीं की, वह दिल्ली में दर्ज की। मेडिकल जाँच रिपोर्ट में साफ लिखा हुआ है कि कोई दुष्कर्म नहीं हुआ है। फिर जोधपुर पुलिस ने अलग से एक धारा जोड़ी कि लड़की 18 साल से कम उम्र की है। बलात्कार तो नहीं हुआ लेकिन उन्होंने हाथ लगाया और किसी ने देखा नहीं। माँ दरवाजे के बाहर बैठी है।’ लड़की चिल्लाती तो निश्चित तौर पर वह (माँ) अंदर आती।
देशहित एवं सत्य के पक्ष में मुकद्दमे लड़ने वाले सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस मुकद्दमे के पुलिस द्वारा नजरअंदाज किये गये पहलुओं को उजागर करते हुए कहाः “लड़की के टेलिफोन रिकॉर्ड्स से पता लगा कि जिस समय पर वह कहती है कि वह कुटिया में थी, उस समय वह वहाँ थी ही नहीं ! उसी समय बापू जी सत्संग में थे और आखिर में मँगनी के कार्यक्रम में व्यस्त थे। वे भी वहाँ कुटिया में नहीं थे। यह केस तो तुरंत रद्द होना चाहिए।”
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सरकार से माँग करते हुए कहाः “मैंने गृहमंत्री राजनाथ जी से कहा कि आशाराम जी बापू के खिलाफ किया गया केस फर्जी है। उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाने में जनता के पैसों का दुरुपयोग होता है। यह बिगाड़ नहीं किया जाना चाहिए।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2015, पृष्ठ संख्या 6, अंक 272
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