महिमा लीलाशाह की

महिमा लीलाशाह की


 

आओ श्रोता तुम्हें सुनाऊँ, महिमा लीलाशाह की।
सिंध देश के संत शिरोमणि, बाबा बेपरवाह की।।

जय जय लीलाशाह, जय जय लीलाशाह।। -2

बचपन में ही घर को छोड़ा, गुरुचरण में आन पड़ा।
तन मन धन सब अर्पण करके, ब्रह्मज्ञान में दृढ़ खड़ा। – 2
नदी पलट सागर में आयी, वृ्त्ति अगम अथाह की।। सिंध देश के…..

योग की ज्वाला भड़क उठी, और भोग भरम को भस्म किया।
तन को जीता मन को जीता, जनम मरण को खत्म किया। – 2
नदी पलट सागर में आयी, वृत्ति अगम अथाह की।। सिंध देश के…..

सुख को भरते दुःख को हरते, करते ज्ञान की बात जी।
जग की सेवा लाला नारायण, करते दिन रात जी। – 2
जीवन्मुक्त विचरते हैं ये दिल है शहंशाह की।। सिंध देश के..

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